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शारदीय नवरात्रि 2020: मां मनसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा रेला, मां शैलपुत्री की हो रही पूजा

17 अक्टूबर यानी आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं. आज पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जा रही है. मां शैलपुत्री के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है. मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है. वहीं मां नंदी बैल पर आरूढ़ रहती हैं.

Sharadiya Navratri 2020
शारदीय नवरात्रि 2020

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Published : Oct 17, 2020, 7:22 AM IST

Updated : Oct 17, 2020, 10:45 AM IST

हरिद्वार:आज शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है. आज मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जा रही है. मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. नवरात्रि पर्व को देश के हर हिस्से में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. सुबह से मां दुर्गा के मंदिरों में भक्तों की लाइन लगी हुई है. लोग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मंदिरों में मां की आराधना कर रहे हैं.

मां मनसा देवी के मंदिर में सुबह से लगी भक्तों भीड़.

शिवालिक पर्वत माला पर स्थित मां मनसा देवी के मंदिर में भी सुबह से भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है. बता दें, हरिद्वार में देविओं के मंदिरों का त्रिकोण है. नील पर्वत पर मां चंडी देवी का मंदिर है, तो दूसरी और शिवालिक पर्वत माला पर मां मनसा देवी का मंदिर स्थित है. इन दोनों मंदिरों के बीच हरिद्वार यानी मायानगरी की अधिष्ठात्री देवी माया देवी का मंदिर है. वैसे मनसा देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ लगभग पूरे साल ही बनी रहती है. लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का रेला लगा रहता है. वहीं इस बार कोरोना के कारण भीड़ कम रहने की उम्मीद है. मंदिर का प्रबंधन निरंजनी अखाड़ा करता है.

मां मनसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा रेला

देवी देवताओं के आह्वान पर प्रकट हुईं मां मनसा देवी

भक्त पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मां की आराधना कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि शिवालिक पर्वत पर आसीन मां मनसा देवी मन से प्रकट हुई थी. इनका अवतरण महिसासुर राक्षस का वध करने के लिए हुआ था. महिसासुर राक्षस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए देवी देवताओं और ऋषि मुनियों के आह्वान पर मां मनसा देवी प्रकट हुई थी और महिसासुर का वध करके पृथ्वी लोक को राक्षसों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी.

मां मनसा देवी के पूजन से कट जाता है कालसर्प दोष

मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि सागर मंथन के दौरान निकलने वाले विष को जब भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था, उस विष से उनके कंठ में पीड़ा होने लगी. तब भगवान शिव ने अपने मन से नाग कन्या के रूप में माता मनसा की उत्पत्ति की. माता मनसा ने नाग कन्या के रूप में उनके गले में प्रवेश कर वह सारा विष पी लिया और भगवान भोलेनाथ ठीक हो गए. तब से यह भी मान्यता है कि जिस किसी व्यक्ति के जीवन में कालसर्प दोष होता है तो मां भगवती मनसा देवी मंदिर में कालसर्प दोष की पूजा करके कालसर्प दोष से निवारण हो जाता है.

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ऐसी मान्यता है कि जो भी सच्चे मनसे मां मनसा की पूजा करता है. उसकी सभी मानोकामनाएं पूरी होती हैं. उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं. नवरात्रि में मां मनसा देवी की पूजा आराधना करने का विशेष लाभ मिलता है.

Last Updated : Oct 17, 2020, 10:45 AM IST

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