उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / city

राजधानी में स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, मरीज की मदद को आगे आया ETV BHARAT

कोरोना वायरस के खतरे की बीच सामान्य मरीजों को अस्पताल में कितना माकूल इलाज मिल रहा है, इसकी बानगी आज देखने को मिली. जब दर-दर की ठोकरें खा रहा एक मरीज ईटीवी भारत के पास मदद के लिए पहुंचा.

dehradun news
राजधानी में स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल

By

Published : Apr 20, 2020, 10:06 PM IST

Updated : Apr 21, 2020, 8:22 PM IST

देहरादून: इन दिनों उत्तराखंड सरकार ने कोरोना पीड़ित मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए सारी मशीनरी को मात्र कोरोना पीड़ित मरीजों तक ही सीमित कर दिया है. ऐसे में सामान्य मरीजों को न सिर्फ तमाम दिक्कतें हो रही हैं, बल्कि सही समय पर इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसा ही एक मामला सोमवार को देखने को मिला, जब एक मरीज को सही इलाज नहीं मिला.

राजधानी में स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल

जानकारी के अनुसार, आज एक मरीज अपना इलाज कराने के लिए विकासनगर स्थित सरकारी अस्पताल पहुंचा, लेकिन इलाज में असमर्थता जताते हुए अस्पताल प्रशासन ने मरीज को दून हॉस्पिटल रेफर कर दिया.

ऐसे में मरीज के सामने एक गंभीर समस्या उत्पन्न हुई कि वह विकास नगर से देहरादून अकेले कैसे आएगा? लिहाजा विकास नगर में पुलिस प्रशासन ने उसकी सहायता की और एंबुलेंस की व्यवस्था भी कराई. उसे देहरादून जिला अस्पताल में छोड़ा गया. लेकिन यहां भी उसकी परेशानी कम नही हुई, उसे दून अस्पताल से कोरोनेशन हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया. इतनी मेहनत के बाद जब वह कोरोनेशन हॉस्पिटल पहुंचा तो उसे एक इंजेक्शन लगाकर घर जाने के लिए कह दिया गया.

वो कहते हैं न कि न घर का रहा न घाट का. ऐसा ही हाल हुआ उस मारीज का. क्योंकि मरीज को न तो आराम मिला और कोरोना के खतरे के बीच उसे इतनी जहमत भी उठानी पड़ गई. अपनी बीमारी के साथ ही वह पैदल घंटाघर पहुंचा.

पढ़े: बदरी-केदार धाम के इतिहास में पहली बार 15 दिन लेट खुलेंगे कपाट, जानें बड़ी वजह

ETV BHARAT से ख़ास बातचीत में मरीज ने अपनी वेदना व्यक्त की. इसके बाद ETV BHARAT संवाददाता ने मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी. लिहाजा आधे घंटे के अंदर देहरादून सदर गोपाल बिनवाल मौके पर पहुंचे और मरीज को लेकर कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे और उसे अस्पताल में एडमिट कराया.

ये सिर्फ एक बानगी भर है. हालांकि इस तरह का ये कोई पहला मामला नहीं है, जब कोई मरीज दर-दर की ठोकरें खाते अस्पतालों में अपनी एड़ियां रगड़ कर थक गया हो. ऐसी घटना राजधानी देहरादून की सड़कों पर पहले भी कई दफा दिख चुकी है.

जहां एक ओर प्रशासन लाख दावे करता रहा कि उनके पास एंबुलेंस की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं और स्वास्थ्य विभाग पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है. लेकिन यह नजारा कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलता है.

Last Updated : Apr 21, 2020, 8:22 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details