देहरादून: रायपुर क्षेत्र स्थित आयुध फैक्ट्री के लगभग दो हजार कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आयुध निर्माण बोर्ड (ओएफबी) के असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियनों ने एक महीने की हड़ताल का नोटिस दिया है. वहीं, अखिल भारतीय असैन्य कर्मचारी परिसंघ (एआईडीईएफ) के यूनियनों ने आयुध निर्माण कारखानों के निगमीकरण करने के केंद्र सरकार के फैसले को वापस लेने की मांग की है.
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा. बता दें कि देश भर में डिफेंस फैक्ट्रियों से जुड़ी केंद्र की 41 फैक्ट्रियां हैं. जिसमें काम करने वाले लाखों कर्मचारियों ने केंद्र सरकार को पहले ही अल्टीमेटम दे दिया था. अल्टीमेटम में कहा था कि अगर केंद्र सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो पहले चरण में एक महीने के लिए सभी कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे.
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ओएफबी के असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियनों ने एक महीने के हड़ताल का नोटिस दे दिया है. रक्षा सचिव को दिए गए संयुक्त नोटिस के अनुसार, ओएफबी के असैन्य कर्मचारियों के तीनों संघों और गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) की इकाइयों ने 20 अगस्त से 19 सितंबर तक हड़ताल पर जाने का प्रस्ताव रखा है. यूनियनों ने आयुध निर्माण कारखानों के निगमीकरण करने के केंद्र सरकार के फैसले को वापस लेने की मांग की है.
देश भर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के साथ देहरादून की भी दोनों फैक्ट्रियों के करीब दो हजार कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. देहरादून की डिफेंस फैक्ट्री के कर्मचारी यूनियन से जुड़े पदाधिकारी काम करने के बाद गेट मीटिंग में केंद्र सरकार में खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे कमर्चारियों का कहना है कि वे सैलरी भत्तों के लिए सड़कों पर नहीं उतरे हैं. ये डिफेंस से जुड़ी अस्मिता का सवाल है. जिसका निजीकरण या निगमीकरण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. गौरतलब तलब है कि डिफेंस फैक्ट्रियां सेना के लिए गोला बारूद तैयार करती हैं. कारगिल युद्ब में भी इन्ही आयुध निर्माण फैक्ट्रियों में कर्मचारियों ने दिन रात काम करके भारतीय सेना के लिए गोला बारूद तयार किया था. लेकिन आज मोदी सरकार कर्मचारियों की उस मेहनत को भूल कर सभी फैक्ट्रियों का निगमीकरण करने जा रही है.