देहरादून:गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून दून विश्वविद्यालय परिसर में बने डॉक्टर नित्यानंद हिमालय शोध एवं अध्ययन केंद्र का लोकार्पण किया. सीएम ने अध्ययन केंद्र की पहली कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम में भी भाग लिया. इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ राज्यसभा सांसद नरेश बंसल भी मौजूद रहे. कार्यक्रम में अनेक प्रबुद्ध जन भी मौजूद रहे.
दरअसल 9 फरवरी 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दून विश्वविद्यालय देहरादून में डॉक्टर नित्यानन्द हिमालयी शोध एवं अध्ययन केन्द्र का भूमि पूजन कर शिलान्यास किया था. 0.39 हैक्टेयर भूमि पर 22 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित हुए इस शोध एवं अध्ययन केन्द्र का निर्माण ब्रिडकुल ने किया. इस संस्थान में भूगोल और भू-गर्भ के एमएससी कक्षाओं की पढ़ाई होगी साथ ही शोध कार्य भी होंगे.
डॉ नित्यानंद हिमालयी शोध केंद्र का लोकार्पण इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि आज भारतवर्ष ने इतनी तरक्की कर ली है कि विदेश में रहने वाले भारतवंशी भी गर्व महसूस करते हैं. देश ने हर क्षेत्र में अपार तरक्की की है. सीएम ने कहा कि आज विकास का मॉडल कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर नित्यानंद का उत्तराखंड राज्य को बनाने में योगदान था. उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के रास्ते पर चलते हुए समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ाने के लिए काम किया.
इस मौके पर दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल ने कहा कि आज हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक बहुत ही बड़ा दिन है. उसका सबसे बड़ा कारण है हम लोगों ने उत्साह के साथ इस को मनाया कि डॉक्टर नित्यानंद की स्मृति में जो हिमालयन शोध एवं अध्ययन केंद्र का लोकार्पण किया ये नित्यानंद स्वामी को हमारी तरफ से श्रद्धांजलि है. आपको बता दें कि इस शोध केंद्र में एक बहुत बड़ा ऑडिटोरियम, क्लास रूम्स व हिमालय म्यूजियम के लिए स्थान है. इसके साथ ही इस शोध केंद्र में महिला वैज्ञानिकों को बढ़ावा मिलेगा.
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प्रख्यात शिक्षाविद थे नित्यानंद:डॉक्टर नित्यानंद लंबे समय तक डीबीएस पीजी कॉलेज में पहले भूगोल विभाग के रीडर व बाद में विभागाध्यक्ष रहे. यहां से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने उत्तरकाशी के मनेरी भाली में एक आश्रम से जनसेवा शुरू की. उन्होंने उत्तरकाशी में आए भूकंप के दौरान लोगों की सेवा की है. उन्होंने सेवा आश्रम के मध्यम से गरीब व जरूरतमंद ग्रामीण युवाओं को शिक्षा से जोड़ा. उन्होंने अपना पूरा जीवन हिमालय के चिंतन पर व्यतीत किया.