देहरादून: कोरोना संकट के बीच अब जिंदगी काफी हद तक पटरी पर लौट रही है, लेकिन शहर के मैक्सी कैब संचालक और सिटी बस संचालक अभी भी भारी नुकसान से जूझ रहे हैं. क्योंकि सरकार ने इन वाहनों को 50 फीसदी सवारियों के साथ संचालन की अनुमति दी है. ऐसे में यात्री नहीं मिलने के कारण यह लोग नुकसान में हैं. मैक्सी कैब और सिटी बस संचालकों की समस्याओं को समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर पहुंचकर मैक्सी कैब और सिटी बस संचालकों से बात की.
इस दौरान दून गढ़वाल ट्रैक्टर जीप संचालन समिति के सचिव राजेश कुमार ने कहा कि सरकार ने वाहनों को संचालन की अनुमति तो जरूर प्रदान कर दी है, लेकिन यात्री न मिल पाने की वजह से वह खासे नुकसान में हैं. ऐसे में वो चाहते हैं कि सरकार प्रदेश के मैक्सी कैब संचालकों को 2 साल तक टैक्स, फिटनेस और इंश्योरेंस में राहत देने पर विचार करें, जिससे प्रदेश के 65 हजार से ज्यादा मैक्सी कैब संचालकों को लाभ मिल सके. राजेश कुमार ने यह साफ किया कि अगर सरकार ने उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया तो 15 जुलाई के बाद सभी मैक्सी कैब संचालक अपने वाहनों के कागजात सरेंडर कर देंगे.
सवारी न मिलने से सिटी बस और मैक्सी कैब संचालक परेशान वहीं, अगर बात सिटी बस की करें तो सिटी बस संचालक एक अलग ही समस्या से जूझ रहे हैं. ईटीवी भारत के सामने अपनी समस्या को रखते हुए देहरादून सिटी बस एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि सरकार ने सिटी बसों के संचालन की अनुमति प्रदान कर दी है. लेकिन एक तरफ पहले ही यात्रियों की संख्या कम है और जो यात्री आ भी रहे हैं, वह सिटी बस के बजाए कम किराए में विक्रम और ई-रिक्शा में जाना पसंद कर रहे हैं. ऐसे में दून शहर में संचालित होने वाली 260 से ज्यादा सिटी बसों के डीजल तक का खर्चा निकाल पाना मुश्किल हो रहा है.
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देहरादून सिटी बस एसोसिएशन के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने कहा कि सरकार को विक्रम और ई-रिक्शा संचालकों को सख्त लहजे में फुटकर सवारी न उठाने के निर्देश देने चाहिए, जिससे कि सिटी बस का संचालन बेहतर तरह से हो सके. साथ ही कहा कि अगर सरकार जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं देती तो सिटी बसों का संचालन आने वाले समय में मजबूरन बंद करना पड़ेगा.