देहरादून: उत्तराखंड लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर बीजेपी ने इतिहास दोहराया है. सूबे की पांचों लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया है. साल 2014 के लोकसभा चुनावों में राज्य की जनता ने भ्रष्टाचार और महंगाई से आजिज आकर सूबे की पांचों लोकसभा सीट बीजेपी की झोली में डाली थी. ऐसे में इस बार भी जनता ने मोदी सरकार नीतियों और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी को बहुमत से नवाजा है.
विधायक ठुकराल के साथ जश्न मनाते कार्यकर्ता. 2019 के लोकसभा चुनाव की मतगणना आज सुबह आठ बजे से हो गई थी. प्रारंभिक रुझानों से ही उत्तराखंड में बीजेपी भारी बहुमत से 2014 का इतिहास दोहराती हुई नजर आ रही थी. वहीं, देश में एनडीए की सीटों का आंकड़ा 300 को पार करता हुआ दिखाई दे रहा है. वोट शेयर में भी बीजेपी ने काफी अच्छी बढ़त बनाई है. वहीं, नतीजों के आने के बाद पीएम मोदी और अमित शाह ने ट्वीट कर बधाई दी. साथ ही कहा कि ये उनकी जीत नहीं भारत की जीत है. इसके साथ उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत से लेकर तमाम नेताओं ने पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत के लिए धन्यवाद दिया. जीत पर जश्न मनाते भाजपाई. उत्तराखंड में पिछले यानी 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पांचों सीटों पर जीत का परचम लहराया था. वहीं, 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था. लेकिन इस बार उत्तराखंड लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन परिणाम विपक्षी दलों के अनुमान के बिल्कुल उलट रहे और पांचों लोकसभा सीट पर बीजेपी काबिज हुई है. पौड़ी लोकसभा सीट परिणाम
पौड़ी लोकसभा सीट की बात करें तो 2014 में मोदी लहर के दौरान इस सीट से पूर्व CM भुवन चंद्र खंडूडी ने शानदार जीत हासिल की थी. बीसी खंडूड़ी ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के हरक सिंह रावत को 1 लाख 84 हजार 526 वोटों से हराया था. खंडूड़ी को चार लाख 5 हजार 690 वोट मिले थे. जबकि, हरक सिंह रावत को 2 लाख 21 हजार 164 वोट मिले. तो वहीं, इस बार यहां पूर्व CM भुवन चंद्र खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी और उनके शिष्य तीरथ सिंह रावत के बीच टक्कर थी. तीरथ सिंह रावत इस सीट से 3 लाख 2 हजार 669 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है.
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हरिद्वार लोकसभा सीट परिणाम
हरिद्वार लोकसभा सीट पर कभी भी किसी पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा. कभी जनता ने यहां कमल खिलाया तो कभी हाथ का साथ दिया. 1977 में वजूद में आई इस लोकसभा सीट पर अबतक 5 बार बीजेपी तो 5 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. हरिद्वार लोकसभा सीट पर ग्रामीण आबादी अधिक होने के कारण 1977 से लेकर 2004 तक ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही. इसके बाद साल 2009 में इस सीट को सामान्य घोषित किया गया. 1977 में जब देशभर में कांग्रेस के खिलाफ लहर थी तो यहां से भारतीय लोक दल ने जीत का परचम लहराया था. उस समय भगवान दास राठौड़ चुनाव जीते थे. यहां बीजेपी ने इस बार फिर से अपने कद्दावर नेता मौजूदा सांसद और पूर्व सीएम डॉ.रमेश पोखरियाल पर भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने अनुभवी अम्बरीष कुमार को सामने किया है. लेकिन मोदी लहर में इस बार ये सीट फिर से बीजेपी के खाते में आई है. निशंक ने इस सीट पर अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के उम्मीदवार अम्बरीष कुमार को 2 लाख 58 हजार 729 मतों के भारी अंतर से हराया है.
नैनीताल-उधमसिंह नगर परिणाम
बात अगर नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट की करें तो यहां हरीश रावत और अजय भट्ट दोनों ही दिग्गज नेता साल 2017 में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं और बीजेपी-कांग्रेस ने फिर उन्हें मौका दिया है. जहां बीजेपी नेता अजय भट्ट रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव हारे थे वहीं हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण के साथ ही किच्छा विधानसभा से भी चुनाव हारे थे. गौर हो कि इस सीट से पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी 2014 में सांसद चुने गए थे. उनके चुनाव लड़ने से मना करने के बाद इस सीट पर बीजेपी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को मैदान में उतारा था. बीजेपी की अपेक्षाओं पर अजय भट्ट खरे उतरे और उन्होंने इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार हरीश रावत को 3 लाख 39 हजार 96 मतों के भारी अंतर से मात दी है.
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अल्मोड़ा सीट परिणाम
साल 2009 में अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट आरक्षित की गई थी. तब से इस सीट पर प्रदीप टम्टा बनाम अजय टम्टा के बीच ही मुकाबला रहा है. 2009 में जहां ये सीट INC की झोली में गयी थी, वहीं 2014 में ये सीट BJP के खाते में आई.साल 2014 में मोदी लहर के चलते इस सीट पर अजय टम्टा के सिर जीत का सेहरा बंधा. जिसके बाद अजय टम्टा को केंद्र की मोदी सरकार में भी जिम्मेदारी दी गई. 9 बार अल्मोड़ा सीट पर INC और 6 बार ने जीत दर्ज की है. वहीं, इस बार बीजेपी के अजय टम्टा ने इस सीट पर भगवा परचम लहराया है. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप टम्टा को 2 लाख 32 हजार 986 मतों के भारी अंतर से शिकस्त है.
टिहरी लोकसभा सीट परिणाम
टिहरी लोकसभा सीट पर राज परिवार से जुड़े लोगों का ही सीट पर ज्यादातर दबदबा रहा है. इस बार भी राज परिवार से बीजेपी प्रत्याशी रानी माला राज्यलक्ष्मी शाह मैदान में हैं. उनके सामने इस बार जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है. जिनके सामने कांग्रेस की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की साख भी दाव पर थी. लेकिन प्रीतम सिंह भी यह चुनौती हार गए और उन्हें बीजेपी प्रत्याशी रानी माला राज्यलक्ष्मी ने 3 लाख 586 मतों के भारी अंतर से पटखनी दी है.