देहरादूनः17 सितंबर 2020 को संसद में कृषि से जुड़े तीन कानून पास किए गए थे. इन तीनों कानून के खिलाफ नवंबर 2020 से अब तक किसान आंदोलन में हैं. कानून को लेकर केंद्र सरकार का दावा है कि इस कानून से किसानों को फायदा पहुंचा है. मंडियों और किसानों के बीच बिचौलियों को खत्म किया है. लेकिन उत्तराखंड में कृषि विभाग से मिली जानकारी इसके उलट ही नतीजा बयां कर रही है.
ईटीवी भारत को उत्तराखंड कृषि विभाग के मिली एक्स्लूसिव जानकारी के मुताबिक देश में कृषि कानून के आने से पहले उत्तराखंड की मंडियों से 120 करोड़ रुपये राजस्व आता था. लेकिन कानून लागू होने के बाद एक साल में सिर्फ 50 प्रतिशत ही राजस्व रह गया है. वहीं, इस कानून के कारण प्रदेश की कई मंडियां अगले 5 साल में बंद होनी की कगार पर होगी. इसके अलावा वर्तमान में कई मंडियों के कर्मचारियों को सैलेरी तक नहीं मिल रही है.
वहीं, अगर हम बात करें देहरादून निरंजनपुर मंडी की तो यहां कृषि कानून लागू होने के बाद एक साल में करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. हालांकि प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ किसानों को फायदा पहुंचाने का है. लेकिन कृषि कानून के कारण बंद होने की कगार पर पहुंच रही कृषि मंडी के बारे में कृषि मंत्री कोई बयान नहीं दे रहे हैं.
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3 कृषि कानूनः17 सितंबर 2020 को संसद में 3 कृषि कानून पास हुए, जिसमें पहला कानून कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 है. इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते है. बिना किसी रुकावट के दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते है.