देहरादून:केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट सदन में पेश करेंगी. पूरे देश की निगाहें बजट पर लगी हैं. इस बजट से उत्तराखंड सरकार को काफी उम्मीदें हैं. केंद्रीय बजट में उत्तराखंड के किसान प्राथमिकता के सबसे बड़े हकदार हैं. ऐसा उत्तराखंड में लगातार घट रही खेती और किसानों पर बढ़ते बोझ की वजह से कहा जा सकता है. उत्तराखंड के किसान और राज्य सरकार को भी यह उम्मीद है कि निर्मला सीतारमण के पिटारे में उत्तराखंड की खेती के लिए कुछ खास जरूर होगा.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट किसानों के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है. ऐसे में उत्तराखंड के किसान इस बजट से उम्मीदें कुछ ज्यादा ही लगाए हुए हैं. केंद्रीय योजनाओं में बजट बढ़ोतरी के साथ कुछ नई योजनाओं के लिए भी किसान आशान्वित हैं.
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प्रदेश की 80 प्रतिशत जनसख्या खेती पर निर्भर
उत्तराखंड में यूं तो 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर ही आधारित है, लेकिन राज्य में तेजी से खेती योग्य भूमि घट रही है. मौजूदा समय में करीब 13 प्रतिशत भूमि ही खेती के लिए योग्य है, इसमें भी करीब 9 प्रतिशत भूमि पहाड़ी जिलों की है, जहां पहाड़ में रह रहे किसान खेती कर रहे हैं.
दोहरी मार से जूझ रहा किसान
उत्तराखंड में किसानों की जरूरत के लिहाज से देखें तो राज्य के किसान दोहरी मार से जूझ रहे हैं. एक तरफ विषम भौगोलिक परिस्थिति के चलते सिंचाई को लेकर किसानों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो दूसरी तरफ जंगली जानवरों का खतरा भी लगातार बना रहता है. उत्तराखंड में पिछले 18 सालों में खेती योग्य भूमि में तेजी से कमी आई है और इसका सीधा कारण कृषि क्षेत्र में किसानों को बेहतर सुविधाएं न दिया जाना है. राज्य के करीब 6.5 लाख किसानों पर सीधे तौर से 1600 करोड़ रुपए का ऋण है.