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बजट 2019: वित्त मंत्री के पिटारे में उत्तराखंड की खेती के लिए 'खास' की उम्मीद लगाए किसान

उत्तराखंड में यूं तो 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर ही आधारित है, लेकिन राज्य में तेजी से खेती योग्य भूमि घट रही है. मौजूदा समय में करीब 13 प्रतिशत भूमि ही खेती के लिए योग्य है, इसमें भी करीब  9 प्रतिशत भूमि पहाड़ी जिलों की है, जहां पहाड़ में रह रहे किसान खेती कर रहे हैं.

फाइल फोटो

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Published : Jul 1, 2019, 5:22 PM IST

देहरादून:केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट सदन में पेश करेंगी. पूरे देश की निगाहें बजट पर लगी हैं. इस बजट से उत्तराखंड सरकार को काफी उम्मीदें हैं. केंद्रीय बजट में उत्तराखंड के किसान प्राथमिकता के सबसे बड़े हकदार हैं. ऐसा उत्तराखंड में लगातार घट रही खेती और किसानों पर बढ़ते बोझ की वजह से कहा जा सकता है. उत्तराखंड के किसान और राज्य सरकार को भी यह उम्मीद है कि निर्मला सीतारमण के पिटारे में उत्तराखंड की खेती के लिए कुछ खास जरूर होगा.

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट किसानों के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है. ऐसे में उत्तराखंड के किसान इस बजट से उम्मीदें कुछ ज्यादा ही लगाए हुए हैं. केंद्रीय योजनाओं में बजट बढ़ोतरी के साथ कुछ नई योजनाओं के लिए भी किसान आशान्वित हैं.

उत्तराखंड के किसानों के आम बजट से उम्मीद.

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प्रदेश की 80 प्रतिशत जनसख्या खेती पर निर्भर
उत्तराखंड में यूं तो 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर ही आधारित है, लेकिन राज्य में तेजी से खेती योग्य भूमि घट रही है. मौजूदा समय में करीब 13 प्रतिशत भूमि ही खेती के लिए योग्य है, इसमें भी करीब 9 प्रतिशत भूमि पहाड़ी जिलों की है, जहां पहाड़ में रह रहे किसान खेती कर रहे हैं.

दोहरी मार से जूझ रहा किसान
उत्तराखंड में किसानों की जरूरत के लिहाज से देखें तो राज्य के किसान दोहरी मार से जूझ रहे हैं. एक तरफ विषम भौगोलिक परिस्थिति के चलते सिंचाई को लेकर किसानों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो दूसरी तरफ जंगली जानवरों का खतरा भी लगातार बना रहता है. उत्तराखंड में पिछले 18 सालों में खेती योग्य भूमि में तेजी से कमी आई है और इसका सीधा कारण कृषि क्षेत्र में किसानों को बेहतर सुविधाएं न दिया जाना है. राज्य के करीब 6.5 लाख किसानों पर सीधे तौर से 1600 करोड़ रुपए का ऋण है.

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केंद्र पोषित योजनाओं में राज्य का बजट बढ़ाए जाने की खास जरुरत

कृषि क्षेत्र पर यदि नजर दौड़ाएं तो राष्ट्रीय स्तर पर भी खेती को लेकर कुछ चिंताए जताई गई हैं. इसमें कृषि से जुड़े उत्पादों पर जीएसटी को कम करना, फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने और राज्य व केंद्र के बीच केंद्रीय योजनाओं के अनुपात में भी बदलाव करने की जरूरत महसूस की गई है. उत्तराखंड के लिहाज से देखें तो यह तीनों ही बिंदु काफी अहम हैं. राज्य में जहां फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है तो वहीं जीएसटी कम करने समेत केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं में केंद्र की योगदान को बढ़ाए जाने की जरूरत है.

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कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि उत्तराखंड में खासतौर पर परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत 10,000 क्लस्टर दिए जाने की बात केंद्र की तरफ से की गई थी, लेकिन अब तक महज 4,000 क्लस्टर ही मिल पाए हैं. ऐसे में उम्मीद है कि आगामी बजट के दौरान 6,000 क्लस्टर की भी व्यवस्था की जाएगी. यही नहीं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 84 करोड़ के बजट में की गई कमी को भी बढ़ाए जाने की उम्मीद कृषि मंत्री ने की है. उत्तराखंड को कृषि में फिलहाल करीब 2,000 करोड़ की जरूरत है. जिसके लिए करीब 1,500 करोड़ से ज्यादा के प्रस्ताव केंद्र को भेजे जा चुके हैं.

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