रुड़की: आर्थिक मंदी की चपेट में अब ईंट भट्टा उद्योग भी आ गया है. पूरे जिले में 150 भट्टे मंदी की जद में आ गए हैं. जिसके बाद ईंट भट्टा संघ ने शासन-प्रशासन के लचर रवैये पर सवाल उठाये हैं. भट्टा संघ ने सरकार को चेतावनी देते हुए आर्थिक मंदी के चलते सभी भट्टों को बंद करने का एलान किया है.
ईंट भट्टा संघ ने रुड़की एआरटीओ पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि एआरटीओ अवैध उगाही कर लगातार भट्टा स्वामियों को परेशान करने का काम कर रहे हैं. भट्टा संघ ने कहा कि भट्टों पर हजारों की संख्या में गरीब मजदूर काम कर रहे हैं. अगर ईंट के भट्टे बंद हुए तो सभी मजदूर बेघर और बेरोजगार हो जाएंगे. यूनियन ने कहा कि आर्थिक मंदी के चलते भट्टों पर बड़ा असर पड़ रहा है. जिसके कारण वे ईंट भट्टा चलाने में सक्षम नहीं हैं.
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वहीं रुड़की और उसके आसपास वर्षों से चल रहे लगभग 150 ईंट भट्टों पर भी केंद्र सरकार के नए कानून की मार पड़ी है. केंद्र सरकार का कहना है कि इतने समय से चल रहे भट्टे संचालित नहीं हो सकते. जिस पर संघ का कहना है कि इस मामले पर उन्हें राज्य सरकार का कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है. वहीं नए मोटर वाहन अधिनियम ने ट्रैक्टर व ट्रॉली को भट्टों पर खड़ा करने को मजबूर कर दिया है.
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ईंट भट्टा संघ के अध्यक्ष नरेश त्यागी ने कहा कि शासन के द्वारा एक भट्टे की सालाना रॉयल्टी एक करोड़ बारह लाख कर दी गई है. इतनी बड़ी रॉयल्टी वे कैसे चुकता करेंगे? वहीं पूरे भट्टे की कीमत एक करोड़ की भी नहीं है. ऐसे में वे एक करोड़ बारह लाख का कर कैसे और क्यों दें? उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सिस्टम को सुधारा नहीं गया तो वे तमाम ईंट भट्टों को इस सीजन में बंद कर देंगे.