हल्द्वानी:आज पूरा देश विश्व डाक दिवस मना रहा है. आज के दौर में पोस्टमैन डिजिटल हो गए हैं. हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है. डाक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच पोस्टल सेवा के बारे में प्रचार प्रसार करना है. साथ ही अपने महत्व को विस्तृत करना है. विश्व डाक दिवस लोगों को भारतीय डाक विभाग के कार्यों से अवगत कराने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है.
एक दौर था जब चिट्ठियां लोगों की भावनाओं से जुड़ी हुई थीं. चिट्ठियां आपस में बातचीत का जरिया हुआ करती थीं. आज विश्व डाक दिवस पर वह दिन याद आ गया जब लोग साइकिल पर थैला लगाए डाकिया का इंतजार करते थे. कत्थई थैले में सैकड़ों चिट्ठियां किसी अपने का अहसास दिलाती थी. चिट्ठियां सीमा पर देश की रक्षा कर रहे जवानों के लिए एक जीने का जरिया हुआ करती थीं. अपनेपन का अहसास और दिल का हाल बताने वाली चिट्ठी जिसे पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी, वह अब कहीं खो सी गई हैं.
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पूरा देश मना रहा है विश्व डाक दिवस
देशभर में 9 अक्टूबर को डाक सेवाओं की उपयोगिता को देखते हुए डाक संघ की ओर से विश्व डाक दिवस मनाया जाता है. विश्व डाक दिवस का उद्देश्य ग्राहकों के बीच डाक विभाग के बारे में जानकारी देना है. साथ ही लोगों को जागरुक करना और डाकघरों के बीच तालमेल बनाना है.
बता दें कि भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की सदस्यता लेने वाला प्रथम एशियाई देश था. भारत में एक विभाग के रूप में इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1854 को लॉर्ड डलहौजी के काल में हुई थी.
भारतीय डाक सेवा पिछले 165 सालों से हिंदुस्तान को देशभर से जोड़े हुए है. 1 जुलाई 1876 को भारत वैश्विक डाक संघ का सदस्य बना. भारत में डाक सेवाओं का इतिहास बेहद पुराना है. हर साल 9 से 14 अक्टूबर के बीच डाक सप्ताह मनाया जाता है. इसके साथ ही डाक दिवस पर बेहतर काम करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया जाता है.