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Published : Dec 2, 2019, 4:34 AM IST

Updated : Dec 2, 2019, 8:03 AM IST

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चारधाम श्राइन बोर्ड: पुरोहित समाज का विरोध तेज, केदारघाटी में जोरदार प्रदर्शन

प्रदेश के चारों धामों के लिये श्राइन बोर्ड बनाने के विरोध में रविवार को तीर्थ पुरोहित समाज और व्यापारियों ने गुप्तकाशी में प्रदर्शन किया. इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई.

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केदारघाटी में तेज हुआ चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध

रुद्रप्रयाग:चारधाम श्राइन बोर्ड को लेकर विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं. केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज और केदारघाटी के स्थानीय व्यापारियों ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है. इन लोगों का कहना है अगर श्राइन बोर्ड को केदारनाथ धाम में लागू किया गया तो क्षेत्रीय जनता इसके विरोध में आंदोलन करने पर मजबूर होगी, जिसका हर्जाना सरकार को भुगतना पड़ेगा.

केदारघाटी में तेज हुआ चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध


प्रदेश के चारों धामों के लिये श्राइन बोर्ड बनाने के विरोध में रविवार को तीर्थ पुरोहित समाज और व्यापारियों ने गुप्तकाशी में प्रदर्शन किया. इस दौरान इन लोगों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि श्राइन बोर्ड को मंजूरी देने से सरकार केदारनाथ के हक-हकूकधारियों का हनन करने जा रही है. जिसके कारण तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है. सरकार तीर्थ पुरोहितों के हकों को छीनकर अपनी मनमर्जी चलाने का षड़यंत्र रच रही है.

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वहीं, केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि उत्तराखण्ड के चारों धामों को श्राइन बोर्ड से जोड़ने की कवायद सरकार की घटिया सोच की मानसिकता को दर्शाता है. इसके साथ ही पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा स्थानीय हक-हकूक धारियों और तीर्थ पुरोहित समाज को विश्वास में लिए बगैर ही इस प्रकार से कार्य किया जाना, सरकार की हठधर्मिता का सबूत है. पूर्व जिला पंचायत सदस्य केशव तिवारी ने कहा कि वैष्णो देवी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड का गठन स्थानीय व्यवसायियों, तीर्थ पुरोहित समाज एवं घोड़ा, डंडी कंडी चालकों के लिए आफत बनकर आएगा.

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वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित लक्ष्मीनारायण जुगरान ने कहा कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में कितनी कमियां हैं, यह वहां जाने के बाद ही पता चलता है. हर काम सरकार और प्रशासन संचालित करेगी. उन्होंने कहा कि बदरी- केदार मंदिर समिति के नाम में ही असीम आस्था और आध्यात्म छुपा हुआ है. श्राइन बोर्ड न केवल सरकार की वामपंथी सोच को दर्शाता है, बल्कि स्थानीय हक हकूक धारियों के विकास में भी बाधा पैदा करने की चाल है.

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उन्होंने कहा कि आगामी चार दिसंबर को सैकड़ों की तादाद में स्थानीय लोग देहरादून कूच कर विधानसभा का घेराव करेंगे. इसके साथ ही श्राइन बोर्ड गठन के दूरगामी परिणामों से भी सरकार को अवगत कराया जायेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीर्थ पुरोहित समाज को आश्वासन दिया था कि बिना उन्हें विश्वास में लिए इस तरह का कोई भी कदम नहीं उठाया जाएगा, मगर विधानसभा सत्र में चारधाम श्राइन बोर्ड का बिल पास करके स्थानीय हक हकूकधारी समाज के हक को छीनने का प्रयास किया गया है.

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दरअसल, प्रदेश में चार पवित्र धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत अन्य प्रसिद्ध मंदिरों का कायाकल्प, प्रबंधन और यात्रा संचालन वैष्णों देवी माता मंदिर, सांई बाबा, जगन्नाथ और सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर करने की तैयारी चल रही है. जिसको लेकर सरकार ने उत्तराखण्ड चारधाम श्राइन प्रबंधन बोर्ड विधयेक को मंजूरी दी है. श्राइन बोर्ड को मंजूरी दिये जाने से चारधामों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज ने भी इसका घोर विरोध किया है.

Last Updated : Dec 2, 2019, 8:03 AM IST

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