नैनीताल: स्वामी चिदानन्द द्वारा गंगा किनारे घाटों पर किए गए अतिक्रमण के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद, राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम हरिद्वार, हरिद्वार विकास प्राधिकरण, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के भीतर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
गंगा घाटों पर हुए अतिक्रमण पर हाई कोर्ट सख्त, परमार्थ निकेतन और सरकार से मांगा जवाब - Nainital High Court strict on encroachment
नैनीताल हाई कोर्ट अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा के किनारे बने घाटों और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया गया है. साथ ही आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही हैं.
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साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि आश्रम के द्वारा घाटों के अलावा नदी में भी अतिक्रमण कर दो पुलों का निर्माण किया गया है. जिसके लिए उनके द्वारा किसी भी विभाग और सरकार से स्वीकृति नहीं ली गई. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम हरिद्वार, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग, हरिद्वार विकास प्राधिकरण समेत अन्य लोगों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.