उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / briefs

कॉकरोच को भी लगता है भगवान बदरी विशाल का भोग, जानिए रहस्य - चमोली बद्ररीनाथ मंदिर

बदरीनाथ मंदिर में भगवान बदरी विशाल के साथ कॉकरोच, गाय और पक्षियों को एक-एक किलो चावल का भोग लगाया जाता है. इस भोग प्रक्रिया का बदरीनाथ मंदिर के दस्तूर में उल्लेख है.

chamoli
chamoli

By

Published : May 21, 2021, 4:39 PM IST

चमोली: देश भर में प्रसिद्ध उत्तराखंड के चार धाम के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं. वहीं, आम तौर पर सभी विष्णु मंदिरों में भगवान की पूजा-अर्चना उनके खड़े रूप में की जाती है, लेकिन बदरीनाथ धाम में विष्णु भगवान विग्रह पद्मासन की मुद्रा में हैं. इसके साथ ही बदरीनाथ धाम में भगवान बदरीनाथ के साथ हर दिन कॉकरोच, गाय और पक्षियों को भी चावल का भोग लगाया जाता है. इस भोग प्रक्रिया का बदरीनाथ मंदिर के दस्तूर में उल्लेख है.

बता दें बदरीनाथ मंदिर के समीप गरुड़ शिला की तलहटी में कॉकरोच (गढ़वाली बोली में सांगला) दिखाई देते हैं. इन कॉकरोचों का आकार सामान्य कॉकरोच से थोड़ा बड़ा होता है. वहीं, बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि बदरीनाथ जी को प्रतिदिन केसर का भोग लगाया जाता है, जबकि कॉकरोच, गाय और पक्षियों को प्रतिदिन एक-एक किलो चावल का भोग लगाया जाता है. धाम में कॉकरोच को भोग लगाने का उल्लेख बकायदा मंदिर के दस्तूर में लिखा है, लेकिन कॉकरोच को भोग क्यों लगाया जाता है, इसका उल्लेख नहीं मिलता है.

पढ़ें: उफनती अलकनंदा नदी के पार फंसे 4 लोगों को रेस्क्यू, देखें- SDRF का ऑपरेशन

उन्होंने कहा कि पुराणों में कहा गया है कि आठवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने धाम की स्थापना की थी. धर्माधिकारी बताते हैं कि शंकराचार्य ने बदरीनाथ की पद्मासन शिला को तप्तकुंड से उठाकर गरुड़ शिला के नीचे रख दिया था, जहां कॉकरोच रहते थे. मंदिर की स्थापना होने के बाद से ही कॉकरोच को भी प्रतिदिन भोग लगाया जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details