देहरादूनःउत्तराखंड वन विकास निगम बीते कुछ सालों से लगातार भारी अनिमितताओं के चलते करोड़ों रुपये के घाटे में चल रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह निगम के अंतर्गत आने वाले 35 टिंबर डिपो में भारी अनियमितताओं को माना जा रहा है. इतना ही नहीं वन निगम के अधीन आने वाले 32 खनन के गेटों पर भी राजस्व वसूली में भारी गड़बड़ी के चलते निगम मुनाफे की जगह घाटे में आ गया है. वहीं, अब वन विकास निगम अपने बेशकीमती लकड़ी के डिपो और खनन गेटों पर ऑनलाइन सीसीटीवी लगाने जा रही है. जिससे अनिमितताओं पर नजर रखी जा सके.
भारी अनियमितताओं पर अंकुश लगाने की कवायद में जुटा वन विकास निगम.
बता दें कि उत्तराखंड वन विकास निगम के प्रदेश भर में 35 टिंबर के डिपो हैं. जहां वनों से काट कर लाई गई लकड़ियों को बेचा जाता है. इतना ही नहीं प्रदेशभर में वन निगम के 20 बहुमूल्य टिंबर डिपो भी हैं. जहां से देवदार, सागवान, शीशम, फर, कैल जैसी बेशकीमती लकड़ी को बेचकर सालाना औसतन 350 से 400 करोड़ का राजस्व निगम को प्राप्त होता है, लेकिन बीते कुछ सालों से वन विकास निगम को अपने इन बहुमूल्य डिपो से लगातार राजस्व का घाटा होना निगम के लिए एक चिंता का विषय बनता जा रहा है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक निगम को 50 करोड़ से अधिक का घाटा हो चुका है. निगम अलग-अलग टिंबर डिपो में चेकिंग अभियान के साथ वहां होने वाले अनियमितताओं को सही करने में जुटा है.
वन निगम को इन बहुमूल्य टिंबर डिपो से मिल रही सबसे ज्यादा अनियमितताओं की शिकायतें
लालकुआं, बीबीवाला, हरबर्टपुर, सेलाकुई, आमडंडा, कालाढूंगी, पनियाली, रायवाला टनकपुर और खटीमा.
उधर, वन निगम के खनन गेटों में भी भारी अनियमितताएं सामने आ रही है. वन विकास निगम के अधीन आने वाले 32 खनन गेटों पर भी सालाना राजस्व का घाटा बढ़ता जा रहा है. वन विकास निगम इन 32 खनन गेटों से सालाना 700 से 750 करोड़ राजस्व निगम को प्राप्त होता है, लेकिन भारी अनियमितताओं के चलते अब खनन गेटों से भी वन विकास निगम को सालाना करोड़ों का घाटा हो रहा है.
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वहीं, मामले पर वन विकास निगम चेयरमैन सुरेश परिहर की मानें तो उनसे पहले रहे चेयरमैन और अन्य अधिकारियों की शय पर अनिमितताओं के चलते बंदरबांट और भ्रष्टाचार का खेल हुआ है. जिसके चलते टिंबर डिपो और खनन गेटों से भारी मुनाफे की जगह घाटे का मुंह देखना पड़ रहा है. चेयरमैन परिहर के मुताबिक अब वह सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के चलते निगम को घाटे से उबारने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. निगम के चेयरमैन सुरेश परिहर ने बहुमूल्य टिंबर डिपो और खनन गेटों में गड़बड़ी करने वाले निगम कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है.
उधर, वन विकास निगम के प्रमुख वन संरक्षक मोनीष मलिक का कहना है कि अगले कुछ दिनों में निगम की बोर्ड बैठक में घाटे से उबरने के लिए उचित कदम उठाएगी. साथ ही कहा कि प्रदेश में मौजूद बहुमूल्य टिंबर डिपो और खनन गेटों पर ऑनलाइन सीसीटीवी लगाएगी. जिससे मॉनिटरिंग कर राजस्व को पहले की तरह मुनाफे में लाने के लिए प्रभावशाली कदम उठाया जाएगा.