हर हर गंगे और हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजा धर्म और अध्यात्म का शहर काशी
वाराणसी में गंगा दशहरा के पावन पर्व पर काशी में संतों के सानिध्य में गंगा मैया की पूजा अर्चना की. स्वामी बालक दास ने बताया कि मां गंगा से सभी लोगों को शांति प्रदान करने की प्रार्थना की. उन्होंने आगे कहा कि बाबा विश्वनाथ का हमें सनातन धर्म में पूजन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. स्वामी दास ने आगे कहा कि गंगा मैया पतित पावन हैं और हमेशा पापों को नष्ट करने वाली हैं. इसलिए आज गुरुवार (9 जून) को सभी संतों ने मां गंगा के दरबार पर अपनी हाजिरी लगाई है. स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया गंगा दशहरा के दिन ही भगवान शिव की जटाओं से निकलकर मां गंगा धरती पर पधारी थी. मां गंगा पापों से मुक्ति दिलाती हैं. औरंगजेब ने जब काशी के विश्वनाथ मंदिर को तोड़ दिया था, उसके 100 साल बाद महारानी अहिल्याबाई काशी आईं थी. तब मंदिर बनाने के लिए बहुत बाधाऐं आ रहीं थी. होल्कर घाट पर सबसे पहले मां गंगा का एक मंदिर बनवाया गया था.