हास्य कवियों की सतरंगी महफिल 'धरे गए नेताजी'
सत्ता के गलियारों में चुनावी हलचल तेज हो चली है. नेताजी के दावों और वादों का पुलिंदा रोज खुलता है. कोई स्कूटी देने की बात करता है तो कोई लैपटॉप. बेचारी जनता इनके वादों और दावों को सच मान कर विकास के इंतजार में पलक पांवड़े बिछा देती है. मगर मजाल, विकास का 'V' भी दिख जाए. अभी जो नेताजी देहरी की धूल नहीं रखे हैं, जीतने के बाद वो लौट कर आएंगे भी या नहीं, ये तो भविष्य की गर्त में है. मगर नेताजी वायदे पूरे करें या न करें, ईटीवी भारत अपने वायदे के मुताबिक एक बार फिर हाजिर है लेकर अपना हास्य व्यंग्य कवियों का बेहद खास कार्यक्रम 'धरे गए नेताजी'. आज की कड़ी बदायूं की सरजमी से.