हास्य कवियों की सतरंगी महफिल में 'धरे गए नेताजी'
वो कहते हैं न कि जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि, और कवि जब हास्य हो तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी तरकश से निकले व्यंग्य बाण कितने घातक होंगे. इनके वार से नेताजी का घायल होना लाजमी है. आज की ये कड़ी हम लेकर हाजिर हुए हैं संगमनगरी प्रयागराज से. जहां कवियों ने नेता नगरी, चुनाव, नेताओं के वादे को लेकर ऐसे व्यंग्य के बाण चलाए कि नेताजी तो घायल हुए ही साथ ही आप भी अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे. तो लीजिए Etv भारत एक बार फिर लेकर हाजिर है हास्य कवियों की सतरंगी महफिल "धरे गए नेताजी".