देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों का हुआ साक्षात्कार, मधु-कैटभ और महिषासुर वध का भी वर्णन
बरेली के एसआरएमएस रिद्धिमा में रविवार शाम 'देवी महात्मय' के प्रथम खंड का मंचन हुआ. इसमें देवी महालक्ष्मी और मां काली द्वारा मधु-कैटभ और महिषासुर वध को दिखाया गया. कार्यक्रम में कथक और भरतनाट्यम का मिश्रण देखने को मिला. कार्यकम की शुरुआत मधु-कैटभ वध से हुई. इसमें दिखाया गया कि शेषशायी भगवान विष्णु की नाभि से एक कमल की उत्पत्ति हुई. इसी कमल से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए. उत्पत्ति की इस बेला में विष्णु भगवान के दोनों कानों से कुछ मैल निकला और उससे मधु एवं कैटभ नाम के दैत्य उत्पन्न हुए. दोनों दैत्यों ने अपने आस-पास चारों तरफ ब्रह्मा जी को पाया, तो वह अपनी भूख मिटाने के लिए ब्रह्मा जी को खाने दौड़े. ब्रह्मा जी ने भयभीत होकर भगवान विष्णु को पुकारा. भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में थे. ब्रह्मा जी की पुकार से उनकी नींद टूट गई और उनके नेत्रों में निवास करने वाली महामाया लुप्त हो गई. इसके बाद मां काली क्रोधित होकर नृत्य करने लगती हैं, तब भगवान विष्णु दोनों के मस्तक अपनी जंघा पर रखकर उसे चक्र से काटकर दोनों का अंत करते हैं.