लाखों खर्च कर दिए फिर भी न मिला मन का मकान, अब करेंगे चुनाव में नेताओं को परेशान
एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति का सपना होता है एक आशियाना. जहां वह अपने परिवार के साथ अपनी जिंदगी को सुकून से बसर करे. मगर सरकार किसी की भी रही हो मकान हासिल करना हमेशा टेढ़ी खीर ही रहा है. ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने लाखों खर्च किए. मकान तो मिले हैं मगर वह रहने लायक नहीं है. लखनऊ में इस तरह के तीन हजार पीड़ित आवंटी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. उनको न्याय नहीं मिल रहा. ईटीवी भारत की चुनावी चौपाल में उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि भले ही वह पिछले पांच साल या और भी पहले से दफ्तरों के चक्कर काट रहे हों मगर अब चुनाव के वक्त नेताओं को भी ऐसे ही परेशान किया जाएगा. जिसको लेकर जन कल्याण महासमिति ने ऐलान किया है. एक रणनीति पर चर्चा की जा रही है और नेताओं के सामने वह एजेंडा रखा जाएगा. जिस पर अमल करने वालों के विषय में ही विचार किया जाएगा. लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि हम लगातार संघर्ष कर रहे हैं, मगर मांगों पर अमल नहीं हो रहा है निजी डेवलपर हो या फिर सरकारी एजेंसी कोई भी किए गए वादों को पूरा नहीं करता फ्लाइटों और मकानों की हालत बुरी है. उनमें रहना संभव नहीं है इसके बावजूद कब्जे के लिए मजबूर किया गया है. सृष्टि अपार्टमेंट से आए विवेक शर्मा ने बताया कि हमारे पूरे अपार्टमेंट में सीलन और सीपेज की वजह से रहना दुश्वार है. अनेक बार एलडीए के चक्कर काट चुके हैं. अफसरों से गुहार लगा चुके हैं. मगर कोई परिणाम नहीं निकल रहा. इस बार चुनाव में हमारे इलाके में विधायक को इस बात का नतीजा भुगतना होगा.
Last Updated : Nov 4, 2021, 10:25 AM IST