गुहार की लौ जलती रही, इंसाफ की लौ बुझती रही...
वेटनरी डॉक्टर की मौत सोने नहीं दे रही है. ऐसा लगता है कि मानो वो अभी उठ बर्बता और क्रूरता की कालिख को झाड़कर पूछ बैठेगी कि क्या इन्हीं भेड़ियों से भरे जंगल को तुम देश कहते हो! मानो उस बेटी की लाश के साथ हमारे इमान की लाशें भी पड़ी हैं.
Last Updated : Dec 3, 2019, 3:23 PM IST