विचारधारा से भटक चुकी है बहुजन समाज पार्टी: बाबू सिंह कुशवाहा
लखनऊ: पूर्व मंत्री और जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा एक बार फिर चर्चा में हैं. पिछड़ी जातियों के बड़े नेताओं में शुमार कुशवाहा बांदा जिले के मूल निवासी हैं. वह 1988 में बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के संपर्क में आए, जिसके बाद कांशीराम ने उन्हें बसपा कार्यालय में बतौर कर्मचारी काम पर रख लिया. बाद में उन्हें लखनऊ में संगठन का काम देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई. 1997 में उन्हें पहली बार विधान परिषद का सदस्य बनाया गया. 2003 में उन्हें एक बार फिर बसपा से विधान परिषद जाने का मौका मिला. इसके बाद वह बसपा सरकार में पंचायती राज मंत्री बने. 2007 में मायावती के नेतृत्व में जब बसपा की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनी तो उन्हें सहकारिता, नियुक्ति, खनिज और परिवार कल्याण विभाग का मंत्री बनाया गया. इसी कार्यकाल में एनआरएचएम घोटाला सामने आया और उन पर आरोप लगे. इसी घोटाले से जुड़े लखनऊ में दो सीएमओ की हत्या और एक डिप्टी सीएमओ की जेल में संदिग्ध मौत के बाद उन्हें 2011 में मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा. बाद में पार्टी ने भी इनसे किनारा कर लिया. कुछ दिन बाद कुशवाहा ने भाजपा का दामन थामा, लेकिन यह पार्टी भी उन्हें रास नहीं आई. इसके बाद 09 दिसंबर 2016 को जन अधिकार पार्टी का गठन किया. स्मारक घोटाले में भी उनका नाम आया और उन्हें कई साल जेल में गुजारने पड़े. हमने विधानसभा चुनावों को लेकर उनसे विस्तार से बात की. पेश हैं प्रमुख अंश...