वाराणसी: देश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण जहां अर्थव्यवस्था काफी नीचे आ चुकी है. उद्योग कल-कारखाने, व्यापार में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराना एवं अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार का प्रयास जारी है. इसके तहत सरकार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए कई योजनाएं चला रही है. रोजगार के साधन के साथ प्रवासी मजदूरों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है.
20 लोगों को दिया रोजगार
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PM Employment Generation Programme) के तहत बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का एक सुनहरा अवसर दे रहा है. इसके साथ ही अन्य लोग भी इससे रोजगार पा रहे हैं. वाराणसी के सेवापुरी विकासखंड के मंटुका गांव के रहने वाले राम सजीवन ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से जुड़कर 20 लाख रुपए का ऋण लिया. इसके बाद इन्होंने शेरवानी बुनने की मशीन लगाई. मशीन लगाने के साथ ही इन्होंने कई लोगों को अपने यहां रोजगार भी दिया. जिसमें मशीन चलाने से लेकर कपड़े की कटिंग उसके तह लगाने व मार्केटिंग के काम के लिए करीब 20 लोगों को रोजगार दिया है.
15-20 हजार तक की हो रही बचत
राम सजीवन ने बताया कि पीएमईजीपी के लोन के मिले पैसों से मैंने शेरवानी बुनने की एक मशीन लगाई है. इस मशीन से प्रतिदिन लगभग 100 मीटर कपड़े की उत्पादन किया जाता है. इन 100 मीटर कपड़ों से प्रतिदिन सभी खर्चे काटकर 1500-2000 रुपया तक की बचत हो जाती है. कार्य करने के लिए मैंने गांव के करीब 20 लोगों को इसमें रोजगार भी दे रखा है.
पीएम रोजगार सृजन से आत्मनिर्भर हो रहे युवा काम करने वाले कारीगर मयंक पांडेय ने बताया कि राम सजीवन के यहां हम मशीन पर शेरवानी का कपड़ा बनाने का काम करते है. मुझे गांव में ही रोजगार मिल गया है और अब मुझे बाहर कमाने के लिए नहीं जाना पड़ेगा. मुझे प्रतिदिन 600 रुपये की कमाई हो जाती है.
24 घंटे में 100 मीटर कपड़ा होता है तैयार
राम सजीवन के साथी शशि शेखर ने बताया कि राम सजीवन एवं हम बचपन के साथी हैं. हम लोग 2 साल से काम करने के विषय में सोच रहे थे. हमें शादी ब्याह में पहनने वाले शेरवानी कपड़ों में काम करने का पता चला. हम लोग इसके बारे में पता किए. खादी ग्राम उद्योग में अप्लाई करने के बाद सेवापुरी बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा से 20 लाख रुपया का लोन पीएमईजीपी के माध्यम से स्वीकृत किया गया. जनवरी माह से काम हम लोगों ने शुरू कर दिया था. काम अच्छा चलने से हम लोग संतुष्ट भी हैं. इसमें शेरवानी का खान बनता है. जिसके बाद शहर ले जा कर में बेचा जाता है. वहीं से यह माल बाहर जाता है. प्रोडक्शन के विषय पर बताते हुए शशि शेखर ने बताया कि 24 घंटे में 100 मीटर शेरवानी का कपड़ा तैयार किया जाता है. 15 से ₹20 प्रति मीटर सभी खर्चे काटकर बचत किए जाते हैं.
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खादी ग्राम उद्योग के अधिकारी यूपी सिंह ने बताया कि हमारे यहां प्रधानमंत्री रोजगार सृजन अभियान चलाया जा रहा है. इसमें 1-25 लाख तक के ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं. खादी ग्रामीद्योग बोर्ड द्वारा एक इकाई राम सजीवन की मंटुका में लगाई गई है. जिसका कार्यस्थल तक्खु की बोली में है, जो 20 लाख रुपया के ऋण के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरे थे. हम लोगों ने ऑनलाइन माध्यम से सीधे बैंक को भेज दिया है. बैंक द्वारा उसे स्वीकृत कर वितरण भी कर दिया गया है. जिसमें 12 लाख रुपए की मशीनरी मद तथा 8 लाख रुपया कार्यशैली पूजी में रखा गया है. इसके साथ यहां प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से 20 लोग रोजगार कर रहे हैं.