वाराणसी:G-20 सम्मेलन के पहले काशी भिखारियों से मुक्त दिखेगी. इसके लिए योगी सरकार बनारस में भिक्षावृत्ति मुक्ति विशेष अभियान चला रही है. इसमें जिला प्रशासन काशी में सक्रिय भिखारियों को तीन श्रेणी में बांटकर भिक्षावृति को समाप्त करेगी. भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों की पहचान कर उनका संरक्षण और काउंसलिंग कर पुनर्वास कराया जाएगा.
भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी काशी में पूरे विश्व से पर्यटकों आते हैं. काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बनने के बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. जी -20 समेलन में काशी आने वाले विशिष्ट मेहमान व पर्यटक काशी की खराब छवि साथ न ले जाए, इसके लिए योगी सरकार काशी को भिखारियों से मुक्त रही है.
भिखारियों की काउंसलिंग कर करती टीम जिला समाज कल्याण अधिकारी जीआर प्रजापति ने बताया कि इस अभियान में थानेवार 6 टीम लगी है. जिसमें अलग-अलग विभागों के 8 से अधिक सदस्य हैं. खासतौर पर मंदिरों, घाटों और अन्य भिख मांगने वाली जगहों पर अभियान चलाया जा रहा है. जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1975 के तहत भिक्षा मांगना अपराध है. इसके लिए भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों को स्वाभिमान पढ़ाने के साथ ही उनकी काउसिंलिंग की जा रही. जिससे दोबारा भिक्षा न मांगे. लावारिस व दिव्यांगजन अशक्त भिक्षा मांगने वालों को स्वयंसेवी संस्था अपने घर आश्रम, वृद्ध भिक्षुकों को वृद्धाश्रम, अस्थायी रूप से रेस्क्यू किए गए भिक्षुकों को शेल्टर होम रखा जा रहा है.
दूसरे जिले के भिक्षुकों को उनके गृह जिले में भेजा जा रहा है. भिखारियों का चिह्नीकरण, डाटा संकलन के साथ उनको सचेत किया जा रहा है. पुलिस विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि कोई भी भिक्षा मांगने के लिए किसी भी स्थान पर बैठा न मिले. पुलिस लगतार पेट्रोलिंग करके ये सुनिश्चित करा रही है.
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