भोजपुरी में रामायण का आना एक महत्वपूर्ण कदम होगा. वाराणसीःरामचरितमानस को लेकर के सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है. इसके बीच जहां उत्तर प्रदेश सरकार रामायण को हिंदी भाषा में अनुवादित कराकर जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रही है. वहीं, अब पूर्वांचल के साहित्यकारों ने गांव-गांव जन-जन तक रामायण को पहुंचाने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है. अब भोजपुरी में रामायण को लिखा जा रहा है. इस रामायण की डिमांड जोरों पर है. गांव से लेकर शोधार्थी तक रामायण को खूब पसंद कर रहे हैं.
बता दें कि भोजपुरी को लेकर पूर्वाचल में काफी जागरुकता देखने को मिल रही है. ऐसे तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे कि भोजपुरी को एक अच्छा मुकाम मिल सके. इसे न सिर्फ बोलने में ही प्रयोग किया जाए, बल्कि पढ़ने लिखने में लाया जा सके. ऐसे ही वाराणसी में एक लाइब्रेरी की भी शुरुआत हुई है, जिसमें भोजपुरी साहित्य को रखा जा रहा है, जिससे शोधार्थियों और आम जन तक इसे पहुंचाया जा सके. अब भोजपुरी रामायण ने इस काम को प्रोत्साहन दिया है.
गांव के लोगों को कंठस्थ है रामचरितमानस
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की शोध छात्र शुभम मिश्रा ने बताया कि धर्म के नाम पर रामायण को हम आसानी से समझ लेते हैं. इसे मैंने अपने गांव में भी देखा है. उन्होंने बताया कि ऐसे लोग हैं जिन्होंने स्कूल जाकर पढ़ाई नहीं की है फिर भी उन्हें पूरा रामचरितमानस याद है. ऐसे लोग भी हैं जो बात-बात में रामायण की पंक्तियां कोट करते हैं. भोजपुरी रामायण उनके लिए काफी सरल हो जाएगी.
अनुवादित हो रहे हैं रामायण के अंश
शोध छात्र ने बताया कि भोजपुरी में रामायण का आना एक महत्वपूर्ण कदम होगा. 'मेरे दादाजी भोजपुरी के कवि हैं. उन्होंने रामायण के कुछ अंश का अनुवाद किया है. श्री राम और केवट के संवाद को भी अनुवाद किया है. वो कुछ इस प्रकार है. 'तनि एक दूरी यहि घटवा से घाट एक, आगे-आगे चलि न, तह कै बताइबे'. इसका मतलब है कि आप चलिए. हम आपके आगे-आगे चलते हैं और इस पानी को नाप देते हैं. आप चले जाइए. हम आपको नहीं ले जा सकते हैं'.
रामचरितमानस के कवितावली की हो रही पढ़ाई
वहीं दूसरे रिसर्च स्कॉलर ने बताया कि इस समय एमए की कक्षाओं में शोधार्थियों के लिए काफी सहयोगी है. रामचरितमानस से संबंधित कवितावली जो तुलसीदास द्वारा लिखी गई है, ये सारी चीजें पढ़ाई जाती हैं. भोजपुरी रामायण आने के बाद हमने देखा है कि गांव में दादी भी रामायण से जुड़ी पंक्तियां बोलती रहती हैं. इससे यह भी पता चलता है कि जो कम पढ़े-लिखे लोग हैं वह भी रामायण को कंठस्थ किए हैं.
अवधी भाषा को भोजपुरी के लोग कम समझ पाते हैं
उन्होंने बताया कि भोजपुरी लाइब्रेरी खुलने से एक फायदा यह भी है कि जो भोजपुरी व्याकरण है, जिसका ध्यान नहीं दिया जाता था. वह सभी चीजें सही होंगी. भोजपुरी रामायण को युवा पढ़ेंगे, क्योंकि भोजपुरी समाज से भी लोग हैं. भोजपुरी के लोग इसे और भी बेहतर ढंग से समझ सकेंगे. रामचरितमानस अवधी में लिखा गया है तो भोजपुरी के लोग अवधी को कम समझ पाते हैं. भोजपुरी में आने से इसे वे आसानी से समझ सकेंगे.
पहली बार भोजपुरी भाषा में उपलब्ध हुई है रामकथा
इस बारे में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सदानंद शाही ने बताया कि ये ऐसी राम कथा है जो लगभग सभी भाषाओं में उपलब्ध है. ऐसी कोई भाषा नहीं है, जिसमें रामकथा उपलब्ध न हो. भोजपुरी के एक मशहूर कवि थे चंदौली के बावला जी, उन्होंने पूरी रामायण अपने ढंग से लिखी है. राजेश्वर सिंह ने भोजपुरी में रामकथा की एक किताब प्रकाशित की है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी के साथ एक समस्या यह है कि भोजपुरी सबसे पहली बोली जाने वाली भाषा है. इसे लिखने और पढ़ने का अभ्यास नया-नया है.
भोजपुरी की छवि सुधारने का एक मौका
उन्होंने बताया कि रामयण अगर भोजपुरी में आती है तो हर कोई इसे पढ़ सकेगा जो भोजपुरी जानता है. दूसरा यह भी है कि भोजपुरी रामायण के माध्यम से लोग भोजपुरी तक पहुंचेंगे. अगर आप शिक्षा के क्षेत्र में जाइए, समाज में जाइए तो देखेंगे कि वैल्यू सिस्टम बहुत गिरा हुआ है. इसे भी सुधारने में काफी प्रयास हो सकेगा. समाज में भोजपुरी की वैल्यू फिल्मों और गीतों के माध्यम से भी गलत आंकी जाने लगी है, जिसे सुधारने का एक मौका मिलेगा.
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