वाराणसी : धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में शनिवार को मां आदिशक्ति के अनुष्ठान का पर्व बड़े धूमधाम और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनाया जा रहा है. काशी में देश के विभिन्न राज्यों के लोग रहते हैं. ऐसे में वह अपने तौर तरीकों से इस पर्व को मनाते हैं. यही वजह है कि बनारस में बंगिय समाज द्वारा दर्जन भर से ज्यादा दुर्गा पूजा महोत्सव मनाया जाता है. आज सप्तमी और अष्टमी के मिलन के दिन बंगीय समाज के लोगों ने संधि पूजन किया और मां भगवती से वैश्विक महामारी कोविड-19 के समाप्त होने की प्रार्थना की.
वाराणसी में विभिन्न स्थानों पर तमाम दुर्गापूजा पंडालों में एवं देवी के मंदिरों में भक्तों ने अष्टमी तिथि पर देवी के आठवें स्वरूप महागौरी का पूजन किया. इसके उपरांत कन्याओं को हलवा, पूड़ी, सब्जी, चने की घुघुरी और मिष्ठान का भोग लगाया. शनिवार को शहर भर में दिनभर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए यह कार्यक्रम विभिन्न पंडालों में चलता रहा.
क्या है संधि पूजन
कबीर नगर दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष डीके विश्वास ने बताया कि यह शारदीय नवरात्र दुर्गा पूजा है. मां शक्ति की पूजा है. आज संधी पूजा है. तिथि के अनुसार अष्टमी और नवमी का संगम को संधी पूजा कहते हैं. बांग्ला समाज के परंपरा अनुसार यह पूजा किया जा रहा है. संदीप पूजन में 108 कमल के फूल का माला अलग-अलग संकल्प करके मां को अर्पित करते हैं. मां को 108 दीपक जलाया जाता है.
भक्तों ने मां से की प्रार्थना
डीके विश्वास ने कहा कि मैया से हम लोगों ने यह प्रार्थना किया कि जल्द से जल्द वैश्विक महामारी खत्म हो. जिससे पहले की तरह वो लोग मां की आराधना पूजा कर सकें. उन्होंने बताया कि इस बार परंपराओं का निर्वहन करना बहुत ही कठिन हुआ है.
मदिर में आए भक्त ज्योति मौर्या ने बताया कि पहले जिस तरह दुर्गा पूजा मनाया जाता था, अफसोस है इस बार उस तरह वो लोग नहीं मना पा रहे हैं. मां से प्रार्थना करते हैं कि मां इस बार आई हैं और सभी के सारे दुखों को ले जाएगी. हमें पूरा विश्वास है इस वैश्विक महामारी से जल्द ही सभी को मुक्ति मिलेगी. माता रानी इस संकट को भी अपने साथ ले जाएंगी.