वाराणसी:काशी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (gyanvapi masjid case ) और श्रृंगार गौरी के मामले (shringar gauri temple case) में वाराणसी जिला जज की कोर्ट ने सुनवाई (gyanvapi case hearing) की. कोर्ट ने मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है. अब तक यह मामला इतना बड़ा बन गया है कि हर कोई इसके बारे में जानना चाहता है. यहां तक कोचिंग संस्थान भी अपने छात्रों को वर्शिप एक्ट (study of Worship Act) से जुड़े नियम और एक्ट के बारे में पढ़ा रहे हैं.
वाराणसी के ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी जिला जज कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने ज्ञानवापी कैंपस में मौजूद मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है. जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी. अब अगली सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख तय की गई है.
5 महिलाओं ने मांगी थी पूजा की अनुमति
अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी. सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है.
इस केस के बारे में जानने की जरूरत क्यों?
कोचिंग संस्थान में आए गेस्ट शिक्षक ने बताया कि इसकी जरूरत इसलिए है क्योंकि इस एक्ट के द्वारा भारत के कुछ संवैधानिक मूल्यों पर प्रश्न चिन्ह लगा है. सामान्य अध्ययन के विषय में इसके प्रश्न पूछे जा सकते हैं कि वर्शिप एक्ट क्या है? वर्शिप एक्ट के किस प्रावधान के अंतर्गत इस कानून को चुनौती दी गई है. मस्जिद और मंदिर विवाद का किस प्रकार से निस्तारण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि छात्रों को इस मामले में अपडेट करने के लिए विश्लेषकों के माध्यम से जानकारी दिलाई जा रही है.
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छात्रों के लिए यह एक्ट एकदम नया है