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विश्व धरोहर सप्ताह का शुभारंभ, अभिलेख प्रदर्शनी से जाना 1810 का बनारस - वाराणसी खबर

वाराणसी के गुरुधाम मंदिर में विश्व धरोहर सप्ताह का आयोजन किया गया. यह आयोजन 19 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक चलेगा. इस दौरान काशी विरासत विषयक छाया क्षेत्र एवं अभिलेख प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. अभिलेख प्रदर्शनी में सन 1810 में बनारस कैसा था उसके बारे जाना गया.

विश्व धरोहर सप्ताह का शुभारंभ.
विश्व धरोहर सप्ताह का शुभारंभ.

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Published : Nov 20, 2020, 5:30 PM IST

वाराणसी: जिले के गुरुधाम मंदिर में क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई के तत्वाधान में विश्व धरोहर सप्ताह का आयोजन किया गया. यह आयोजन 19 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक चलेगा. जिसका शुभारंभ शुक्रवार को किया गया. काशी विरासत विषयक छाया क्षेत्र एवं अभिलेख प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. प्रदर्शनी के अंतर्गत राज्य संरक्षित स्मारकों के लगभग 50 छायाचित्र एवं काशी के इतिहास संबंधित महत्वपूर्ण अभिलेख प्रदर्शित किए गए. 1 हफ्ते तक विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाएंगे, जिसमें ऑनलाइन पेंटिंग प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता और काशी की पारंपरिक चित्रकला का आयोजन किया जाएगा.

विश्व धरोहर सप्ताह का शुभारंभ.

यह प्रदर्शनी हैं प्रमुख
अभिलेख प्रदर्शनी में 1810 ईसवी का अभिलेख था, जिसमें बनारस में कितने घाट है उनका उल्लेख था. उसके साथ ही बनारस राज स्थित बाजार एवं हार्ट की सूची थी. बनारस रियासत का राज्य चिन्ह के अभिलेख के साथ बनारस के ह्रदय कहे जाने वाला गोदौलिया बाजार का फाउंडेशन सन 1810 में कैसा था उसका उल्लेख था.

पुरानी चीजें देख कर लगा अच्छा
बीएचयू के छात्र प्रीतम ने बताया विश्व धरोहर सप्ताह पर यह अनोखी प्रदर्शनी देख कर बहुत ही अच्छा लगा. इसमें हमने जाना कि 1810 में घाटों का नाम क्या था. उसके दस्तावेज यहां पर प्रदर्शित किए गए. बनारस राजघराने का राज्य चिन्ह देखा. बहुत ही पुरानी चीज देख कर अच्छा लगा. ऐसे लेख भी सुरक्षित रखे गए हैं, जो कई मायनों में बनारस के लिए बहुत ही खासकर है. हम युवाओं के लिए तो बहुत ही आवश्यक है.

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉक्टर सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि विश्व धरोहर सप्ताह का शुभारंभ किया गया, जो हर वर्ष 19 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक मनाया जाता है. यहां पर हम लोगों ने आसपास की जो हमारी विरासत है उनकी फोटो प्रदर्शनी लगाई है. यहां पर पुराने और दुर्लभ डॉक्यूमेंट प्रदर्शित किए गए हैं. 1810 में बनारस के घाटों के नाम यहां पर मिलते हैं. घाटों का किस तरह विकास हुआ और घाटों की संख्या बढ़ती गई. गोदौलिया का विकास कैसे हुआ. उसका मास्टर प्लान कैसे बनाएं. उससे संबंधित भी दस्तावेज हमने यहां पर लगाया हैं.

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