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विश्व हेपेटाइटिस दिवस: जानें क्या है हेपेटाइटिस, कैसे रहें इससे सुरक्षित

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Published : Jul 28, 2021, 9:07 PM IST

हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day) मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य होता है हेपेटाइटिस को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाना. हेपेटाइटिस के क्या लक्षण क्या कारण और इसके बचाव के संबंध में ईटीवी भारत को जानकारी दी राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के प्रवक्ता डॉ अजय कुमार ने.

विश्व हेपेटाइटिस दिवस
विश्व हेपेटाइटिस दिवस

वाराणसी:हेपेटाइटिस रोग (Hepatitis Disease) के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस(World Hepatitis Day) मनाया जाता है. हेपेटाइटिस रोग(Hepatitis Disease) से बचाव और इसका इलाज संभव है, बशर्ते कि लोग जागरुक रहें. हेपेटाइटिस का अर्थ होता है लीवर यानी यकृत में सूजन हो जाना. यह रोग वायरल संक्रमण, बैक्टीरियल संक्रमण, अधिक दवा के सेवन से या अल्कोहल जैसे हानिकारक पदार्थों के अधिक सेवन की वज़ह से होता है. प्रारम्भ में इसके लक्षण बहुत सीमित या न के बराबर प्रकट हो सकते है, लेकिन इसमें प्राय: पीलिया, अत्यधिक थकान, भूख कम लगना, बुखार आदि लक्षण दिखते हैं. इनमे से सबसे घातक वायरल हेपेटाइटिस पांच प्रकार के वायरस से होता हैं. इनमें भी सबसे घातक हेपेटाइटिस बी होता है.

क्या है हेपेटाइटिस

ईटीवी भारत से बातचीत में राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के प्रवक्ता डॉ अजय कुमार ने इसके बारे में जानकारी दी. डॉ. अजय कुमार ने बताया कि प्रत्येक वर्ष हेपेटाइटिस के कारण लाखों लोग मृत्यु के शिकार हो जाते हैं और कुछ लोगों में क्रॉनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर का खतरा अधिक होता है. हेपेटाइटिस-बी, इन्फेक्टेड ब्लड के ट्रांसफ्यूशन और असुरक्षित यौन संबंध, सीमेन और दूसरे बॉडी फ्लूइड के संसर्ग के कारण होता है अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, अत्यधिक शराब के सेवन से होता है.उन्होंने बताया कि कुछ दवाईयां जैसे एसिटामिनोफेन के अधिक सेवन से भी हेपेटाइटिस हो जाता है.

हेपेटाइटिस से कैसे रखें खुद को सुरक्षित
क्या है हेपेटाइटिस होने के कारण
  • वायरल संक्रमण के कारण.
  • एल्कोहल यानि शराब का अधिक सेवन
  • दूषित भोजन व दूषित जल पीने से
  • पित्त नलिका में पत्थरी के कारण.
  • अधिक अम्लीय, क्षारीय, अति उष्ण, विरुद्ध एवं असात्मय भोजन के सेवन से भी इसके होने का खतरा रहता है.

क्या है हेपेटाइटिस के लक्षण

  • पीलिया तथा त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना
  • मूत्र का रंग गहरा पीला या हरा हो जाना
  • अत्यधिक थकान
  • उल्टी और मिचली
  • पेट के उपरी हिस्से में दर्द और सूजन
  • अत्यधिक खुजली

भूख कम लगना

हेपेटाइटिस का पता किस जांच से चलता है

  • लीवर फंक्शन टेस्ट
  • पेट का अल्ट्रासाउन्ड
  • हेपैटाइटिस ए, बी और सी का टेस्ट (hepatitis A,B, or C)
  • लीवर बायोपसी

कैसे करें हेपैटाइटिस से बचाव

  • अपना रेजर, टूथब्रश और सूई को किसी से शेयर न करें,
  • टैटू करने के वक्त उपकरणों को हमेशा स्टेरीलाइज कराये.
  • कान को छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि मशीन साफ और स्टेरीलाइज हो.
  • सेक्स करते वक्त सावधानी बरतें.
  • बच्चों को हेपेटाइटिस से बचाव के लिए समय पर टिका लगवाए
  • हॉट, स्पाइसी, और ऑयली खाने से परहेज करें.
  • प्रिजर्व्ड़ फूड, केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, एल्कोहल और सोडा वाले ड्रिंक से परहेखाने मे केला, आम, टमाटर, पालक, आलू, आंवला, अंगूर, मूली, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची ज्यादा शामिल करें.
  • इस स्थिति में ज्यादा फिजिकल वर्क न करें और पूरा आराम करें.

आयुर्वेद में हेपेटाइटिस
डॉ. गुप्ता बताते हैं कि आयुर्वेद में हेपेटाइटिस को कामला रोग या पीलिया के नाम से जाना जाता है. चिकित्सा में विलम्ब करने और खराब खान पान के कारण कामला रोग अधिक उग्र होता जाता है इसके रोगी के उपचार के लिए औषधि के साथ-साथ उचित आहार व्यवस्था भी जरुरी होती है. उन्होंने बताया कि पूर्ण विश्राम एवं संतुलित आहार से इस रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है. अत: रोगी की आहार व्यवस्था पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिससे धीरे-धीरे सुधार होता है.

महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवाएं

डॉ. गुप्ता ने बताया कि आयुर्वेद में इसके लिए बहुत सी औषधिया बताई गयी है जिनमे से कुछ निम्न है जिसे वैद्य की सलाह से लेने पर बहुत फायदा मिलता है. उन्होंने बताया कि इन औषधियों के साथ ही पंचकर्म विशेष रूप से विरेचन कर्म बहुत ही लाभदायक होता है.

  • कुटकी
  • भुमयामल्की
  • काकमाची
  • त्रिफला चूर्ण
  • अविपत्तिकर चूर्ण
  • अरोग्यवर्धिनि वॅटी
  • पुनर्नावादी मंडूर
  • यक्रिदारी लौह
  • रोहितकारिष्ट
  • कालमेघासव
  • कुमारियासाव

    हेपेटाइटिस में क्या खाएं
  • करेले के पत्तों के रस को हरीतकी के साथ सेवन करने पर पीलिया रोग नष्ट होता है.
  • मकोय का रस 5 ग्राम मात्रा में सुबह-शाम पीने से पीलिया रोग में बहुत लाभ होता है.
  • गन्ने का रस दिन में दो बार अवश्य सेवन करें.
  • तक्र (मट्ठे) में चार-पांच काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करे.
  • गिलोय का 5 ग्राम रस सुबह और 5 ग्राम रस शाम को पिएं.
  • हल्के सुपाच्य खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें.
  • जल को उबालकर और छानकर पिएं.
  • इस रोग में साफ एवं स्वच्छ गन्ने का रस लेना लाभकारी होता है.
  • इस रोग में कच्चे नारियल का पानी पीना बहुत लाभकारी होता है.
  • रात के समय एक गिलास पानी में मुनक्का को भिगों दे. सुबह मुनक्का के बीज निकाल कर इन्हें खालें और ऊपर से बच्चा हुआ पानी पीलें.
  • पपीता का सेवन करें.
  • हमेशा पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन लें.
  • उष्ण, तीक्षण और अम्लीय पदार्थों का त्याग कर दें.
  • शराब एवं अन्य प्रकार के नशे से दूर रहना ही अच्छा रहता है.

    हेपेटाइटिस में क्या खाने से बचें
  • घी, तेल, मक्खन, अंडे, मांस-मछली का सेवन न करें.
  • उष्ण मिर्च-मसालों और अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.
  • चाय, कॉफी, शराब का सेवन न करें.
  • छोले-भटूरे, गोल-गप्पें, टिकिया, समोसे आदि चटपटे खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए.
  • फॉस्ट फूड, चाइनीज व्यंजन का बिल्कुल सेवन न करें.
  • दूषित जल, कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें.

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