वाराणसी : मोदी सरकार द्वारा अंतरिम बजट पेश किए जाने के बाद से ही लोगों में खुशी देखने को मिल रही है. सरकार ने बजट में गर्भवती महिलाओं पर भी ध्यान दिया है, जो कामकाजी महिलाएं हैं उनको दी जाने वाली मेटरनिटी लीव को 26 सप्ताह कर दिया गया है, जिसका प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की महिलाओं ने खुशी से स्वागत किया है.
मैटरनिटी लीव 26 सप्ताह किए जाने से खुश हुईं PM मोदी के संसदीय क्षेत्र की महिलाएं
मोदी सरकार द्वारा आज अंतरिम बजट पेश किए जाने के बाद से वाराणसी में महिलाओं में खुशी देखने को मिल रही है. सरकार ने कामकाजी महिलाओं को दी जाने वाली मेटरनिटी लीव को 26 सप्ताह कर दिया गया है.
दरअसल, मोदी सरकार की तरफ से आज अपना अंतिम और अंतरिम बजट पेश किया गया, जिसके बाद इसे राजनैतिक बजट भी माना जा रहा है, क्योंकि इसी वर्ष ही लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले सरकार ने जिस तरह से हर वर्ग का ध्यान दिया है, उससे लोगों में खुशी दिख रही है. सरकार की तरफ से गर्भवती महिलाओं पर भी ध्यान दिया गया है, जो कामकाजी महिलाएं हैं उनको दी जाने वाली मेटरनिटी लीव को सरकार ने 26 सप्ताह कर दिया है. इससे महिलाओं को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र की महिलाओं ने इस फैसले का स्वागत किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कामकाजी महिलाओं की बड़ी संख्या है और आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में महिलाएं यहां काम करने आती हैं. ऐसी ही एक महिला स्मृता शुक्ला का कहना है कि महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी के दौरान काम करना एक बड़ी चुनौती होता है. उस दौरान छुट्टी कम होने पर उन्हें काम करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. काफी लंबे समय से कामकाजी महिलाएं मैटरनिटी लीव बढ़ाने की मांग कर रही थी, जिसे बजट में 26 सप्ताह कर दिया गया है. ऐसे में महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी के दौरान और प्रेगनेंसी के बाद दोनों बड़ा फायदा देने वाला है. सरकार का यह फैसला कामकाजी महिलाओं काफी भा रहा है.
वहीं मोदी सरकार के इस फैसले पर अन्य महिलाओं का भी कहना है कि यह उनके लिए काफी फायदेमंद होने वाला है. वहीं अन्य जिले से आकर वाराणसी में नौकरी करने वाली रीता सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रही हैं. उनका कहना है कि महिलाओं को प्रेगनेंसी के बाद भी तमाम दिक्कतें होती हैं. उसके बाद बच्चे को संभालने में और घर चलाने में भी पेरशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में अगर सरकार ने यह फैसला लिया है तो निश्चित तौर पर महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी.