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नेल आर्ट के जरिए आत्मनिर्भर बनने की राह पर महिलाएं

वाराणसी की रहने वाली डॉ. माधुरी पिछले कई सालों से महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं. श्वेता शिल्प कला केंद्र की संचालिका डॉ. माधुरी 25 सालों से महिलाओं को कढ़ाई-सिलाई सिखाने के साथ अब नेल आर्ट्स सिखाने पर जोर दे रही हैं. उनका यह प्रयास लगातार जारी है. पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट...

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Mar 19, 2021, 8:39 PM IST

वाराणसी: जनपद की एक महिला पिछले 25 सालों से अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं. उस महिला का नाम है डॉ. माधुरी श्रीवास्तव. डॉ. माधुरी प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के साथ ही महिलाओं को सशक्त बनाने का काम सालों से कर रही हैं. पहले ब्यूटीशियन, सिलाई-कढ़ाई, हैंडिक्राफ्ट बनाने जैसे तमाम कोर्स करती थीं, लेकिन अब आधुनिक युग को देखते हुए उन्होंने नेल आर्ट को सिखाने का भी काम शुरू किया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

आर्ट एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें हर कोई खुद को निपुण कर रोजगार पा सकता है. वहीं महिलाएं आज अलग-अलग नेल आर्ट्स सीखकर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं. वाराणसी की रहने वाली डॉ. माधुरी श्रीवास्तव पहले से ही समाजसेवा करती आ रही हैं. इन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का ख्वाब देखा और श्वेता शिल्प कला केंद्र की शुरुआत की. केंद्र की डायरेक्टर डॉ. माधुरी श्रीवास्तव ने बताया कि वह महिलाओं को रोजगार देती हैं. उनके यहां इंडियन आर्ट क्राफ्ट, कल्चर, म्यूजिक, ब्यूटीशियन, नेल आर्ट्स वैगरह सिखाए जाते हैं.

डॉ. माधुरी बताती हैं कि वह अपने माता-पिता की तीन बेटियों में वह सबसे बड़ी हैं. उनके समाज में कायस्थ बिरादरी से ताल्लुक रखने वाली लड़कियों के पैदा होने पर लोग रोते थे. दहेज देना और लड़कियों के लिए वर ढूंढना जैसी सोच होती थी. वह कहती हैं कि उनका उद्देश्य लोगों की इस सोच को बदलना था. इसके लिए उनके प्रेरणास्रोत कोई और नहीं, बल्कि उनका परिवार है. उनके पिता ने कहा था कि खुद के अंदर इतनी काबिलित पैदा करो कि तुम्हें किसी के दरवाजे तक न जाना पड़े.

खूबसूरत नेल आर्ट लोगों को कर रहे आकर्षित.

निम्न आय वर्ग की महिलाओं को करती हैं प्रशिक्षित

डॉ. माधुरी निम्न आय वर्ग की महिलाओं को निःशुल्क प्रशिक्षण देती हैं. केंद्र में ब्यूटिशियन में रूचि रखने वाली महिलाओं को सिखाया जाता है. माधुरी के केंद्र पर कई महिलाएं काम करती हैं, जहां पर मेकअप, हेयर स्टाइल, पेंटिंग, ड्रेस डिजाइन, मेहंदी व दुल्हन सजाने जैसे कोर्स सिखाए जाते हैं.

डॉ. माधुरी का कहना है कि आज से 10 से 12 साल पहले नेल आर्ट्स बड़े जोर-शोर से प्रचलित हुआ था. आज इसका ट्रेंड फिर चल रहा है. आज की आधुनिक युग की महिलाओं ने नेल आर्ट सीखने और करने पर काफी जोर दिया है. इसकी वजह है कि नेल्स पर कई तरह के डिजाइन बनाए जा सकते हैं, जिससे वह बेहद खूबसूरत और आकर्षक दिखते हैं. प्रत्येक उंगलियों में अलग डिजाइन, अलग कलर और शेड इसकी खासियत है. सीखने के बाद इसे खुद को और दूसरों को भी लगा सकते हैं.

महिलाओं को मिल रहा रोजगार.

आज लड़कियां डॉ. माधुरी को अपना रोल मॉडल मानती हैं. कोर्स कराने के अलावा श्वेता शिल्प कला केंद्र में गरीब तबके की महिलाओं का सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाने और उन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण देने के साथ ही पर्सनालिटी डेवलेपमेंट भी सिखाया जाता है, ताकि वे आत्मनिर्भर बनें.

प्रशिक्षण लेने वाली लड़कियों ने क्या कहा

श्वेता शिल्प कला केंद्र में नेल आर्ट्स का प्रशिक्षण लेने वाली मुस्कान ने कहा कि वह नेल आर्ट सीख रही हैं. इसमें बहुत सारे ट्रिक्स हैं, जो माधुरी मैम बताती हैं. डॉ. माधुरी यहां युवतियों को निःशुल्क प्रशिक्षण देती हैं. अपनी तरफ से सामान भी मुहैया कराती हैं.

डॉ. माधुरी ने बताया कि उन्होंने इस कला को मुंबई से सीखा है. आज से 25 साल पहले एक महिला ने उन्हें इस कला को सिखाया था. इस नेल आर्ट्स की कला को उन्होंने फिर से सिखाना शुरू किया. नेल आर्ट बहुत ही नया ट्रेंड है. इसका विस्तार समुद्र की तरह है. ये एक अच्छी कला है. उन्होने कहा कि कोई भी भारतीय कला ऐसी नहीं है, जिसको हम रोजगारपरक न बना पाएं. नेल आर्ट तो आधुनिक युवतियों की सोच है और ये बहुत आगे जाएगा. इस कला को सीखकर महिलाओं को बहुत ज्यादा सफलता मिलेगी.

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