वाराणसी: कहते हैं जल ही जीवन है और यदि पानी की बर्बादी होती है, तो इसका खामियाजा न सिर्फ लोगों को बल्कि विभाग को भी भुगतना पड़ता है. वाराणसी जलकल विभाग के पास पानी की बर्बादी के अलावा अब तक घर-घर पहुंचे कनेक्शन को लेकर परफेक्ट आंकड़ा नहीं है. जलकल विभाग कागजी कार्रवाई पूरी करके जितने लोगों को कनेक्शन देता है, उससे कहीं ज्यादा लोग घरों के बाहर से गई हुई जलकर की पाइप लाइन को कटकर ऐसे ही कनेक्शन जोड़ कर अपना काम चला लेते हैं. यह जलकल को बड़ा रेवेन्यू का झटका देता है, लेकिन अब जलकल एक-एक बूंद पानी का हिसाब लेने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए वाराणसी के एक इलाके को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है. यहां पर मीटर लगाकर पानी की सप्लाई की निगरानी की जा रही है. इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद बनारस के इलाकों में भी यही सिस्टम लागू करने की तैयारी है.
जलकल विभाग के महाप्रबंधक रघुवेंद्र कुमार ने बताया कि विभाग को जापान के साथ मिल कर दो प्रोजेक्ट पर काम करना है. पहला प्रोजेक्ट सबसे महत्वपूर्ण है और यह एनआरडब्ल्यू यानी नॉन रेवेन्यू वाटर को लेकर है, क्योंकि जलकल के पास अब तक कोई परफेक्ट आंकड़ा नहीं है कि उसके द्वारा कितने लोगों को वॉटर कनेक्शन प्रोवाइड कराए गए हैं और उसके रेवेन्यू कितने का आ रहा है, क्योंकि रेवेन्यू के मामले में जलकल काफी पीछे है और जो विभाग को नुकसान की तरफ ले जा रहा है.
यही वजह है कि जलकल विभाग में जापान के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट के लिए वाराणसी के कोनिया इलाके को चुना गया है. यह पायलट प्रोजेक्ट पानी के मीटर से जुड़ा हुआ है. इस इलाके में पानी के मीटर के कनेक्शन लगा दिए गए हैं और प्रतिदिन कितने यूनिट वाटर यूज हो रहा है. कितना वेस्ट जा रहा है और कितने का पानी पूरे महीने प्रत्येक घर में इस्तेमाल हो रहा है, इसकी निगरानी की जा रही है इसके आंकड़े विभाग को उपलब्ध करवाए जाएंगे.