जानें! पीएम मोदी का साथ छोड़ने वाले शत्रुघ्न सिन्हा का बनारस से क्या है खास रिश्ता
शत्रुघ्न सिन्हा भारतीय फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति का जाना पहचाना नाम है. हिंदी सिनेमा में कई सुपरहिट फिल्में देने वाले सिन्हा राजनीति में भी उतने ही सक्रिय रहे हैं. हाल ही में उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया है. प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के फैसलों से नाखुशी का हवाला देते हुए उन्होंने बीजेपी छोड़ने का फैसला किया था. पीएम मोदी का बनारस से गहरा रिश्ता है. वह इस सीट से सांसद हैं लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा का भी बनारस से उतना ही खास रिश्ता है. उसी रिश्ते से रुबरु कराएगी यह खबर-
शत्रुघ्न सिन्हा (फाइल फोटो)
वाराणसी:भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ कांग्रेस में शामिल होने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने भले ही नरेंद्र मोदी की पार्टी से दूरी बना ली हो लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र से इनका काफी गहरा नाता है. बनारस से शत्रुघ्न सिन्हा का रिश्ता जन्म से भी पहले का है. खुद सिन्हा यह बात कहते हैं कि उनका जन्म बनारस की देन है. बनारस से जुड़ी शत्रुघ्न सिन्हा के जीवन की एक ऐसी कहानी है जो फिल्म स्टार से राजनीतिज्ञ बने इस व्यक्तित्व की जिंदगी का पूरा आधार है.
लोग सच ही कहते हैं कि काशी में चमत्कार होना कोई बड़ी बात नही, क्योंकि यहां के कण कण में शंकर का निवास है. महादेव की इस नगरी में भगवान राम की भी विशेष कृपा है. इसी कृपा के मुरीद हैं फिल्मी जगत से राजनीति का रुख कर चुके शत्रुघन सिन्हा. शत्रुघन सिन्हा का जन्म होने में बनारस के एक अनोखे बैंक का हाथ है. इस बैंक का नाम है राम रमापति बैंक. खुद शत्रुघन सिन्हा बताते हैं कि उनका ओर उनके भाइयों का जन्म राम रमापति बैंक की कृपा से हुआ है.
शत्रुघ्न सिन्हा और काशी का संबंध
इस अनोखे बैंक के कर्मचारी सुमित मेहरोत्रा ने बताया कि शत्रुघन सिन्हा की मां को संतान नही हो रही थी और मेडिकल साइंस ने भी हर उम्मीद छोड़ दी थी. सिन्हा की मां हर जगह से निराश होकर काशी आ पहुंची थीं. वह राम रमापति बैंक गईं और उन्होंने यहां आकर अनुष्ठान किया. सिन्हा की मां को चार बेटे हुए जिनका नाम उन्होंने राम, लक्षमण, भरत और शत्रुघ्न रखा. शत्रुघ्न सिन्हा खुद भी भगवान राम के अनुयायी हैं. उनके बेटों के नाम लव-कुश हैं और घर का नाम उन्होंने रामायण रखा है. आज भी जब शत्रुघ्न सिन्हा बनारस आते हैं तो राम रमापति बैंक में जाना नहीं भूलते.
क्या है राम रमापति बैंक की कहानी
राम रमापति बैंक बीते 92 सालों से वाराणसी में संचालित हो रहा है। यहां रुपए-पैसे का लेन-देन नहीं बल्कि राम नाम का कर्ज दिया जाता है. राम रमापति बैंक आस्था का एक बड़ा केंद्र है. इस बैंक में लगातार राम नाम लिखी स्पेशल करेंसी बढ़ती ही जा रही है. पीछे 92 सालों में इस बैंक में 19 अरब से ज्यादा राम का नाम लिखकर भक्त जमा कर चुके हैं. 1926 में विश्व कल्याण के मकसद से छन्नूलाल जी ने इस बैंक की नींव रखी थी.
क्या है अनुष्ठान का तरीका
21 लाख से ज्यादा लोग इस बैंक से जुड़ चुके हैं. यहां राम नाम का कर्ज़ मिलता है. एक व्यक्ति सवा लाख राम नाम का कर्ज ले सकता है जिसे 8 महीना 10 दिन में जमा करना होता है. हालांकि इस दौरान भक्तों को कई नियमों का पालन भी करना होता है. अगर कोई इन नियमों के अनुसार निर्धारित समय में राम नाम जमा करता है तो ऐसा माना जाता है कि उसकी मन मांगी मुराद पूरी हो जाती है. यह नाम लिखने के लिए बैंक की तरफ से कलम, स्याही, कागज दिया जाता है. इस अनुष्ठान को पूरा करके राम नाम की करेंसी को बैंक में जमा कर दिया जाता है और अपनी मन मांगी मुराद के पूरा होने का इंतजार किया जाता है.