उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

जन्माष्टमी को लेकर न रखें कोई कन्फ्यूजन, जानिए कब होगा श्री कृष्ण के जन्म का सही मुहूर्त - जन्माष्टमी पर पू जन का सही समय

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया कब जाएगा? 6 या 7 सितंबर को. इस बात को लेकर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है. इस कन्फ्यूजन की स्थिति को दूर करने के लिए पढ़े यह खबर...

श्री कृष्ण के जन्म का सही मुहूर्त
श्री कृष्ण के जन्म का सही मुहूर्त

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 5:00 PM IST

वाराणसी: "नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की" जल्द ही आपके घर-घर यही सुनने को मिलेगा. क्योंकि भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाने की तैयारी हर किसी ने शुरू कर दी है. लेकिन इस बात को लेकर कंफ्यूजन है कि आखिर जन्माष्टमी का पर्व मनाया कब जाएगा? 6 या 7 सितंबर को. इस कन्फ्यूजन की स्थिति को दूर करने के लिए वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय से ईटीवी भारत ने बातचीत की.

भक्तों को मिलेगा मनवांछित फलःप्रोफेसर विनय कुमार पांडेय ने बातचीत में स्पष्ट किया कि वैष्णव संप्रदाय के उदय व्यापिनी रोहिणी मताबलंबी 7 सितंबर को व्रत रखेंगे और जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे. जबकि शैव समुदाय से जुड़े लोग 6 सितंबर को इस पर्व को मनाएंगे. वहीं, अबकी श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर एक ऐसा दुर्लभ योग भी बन रहा है. जो श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को और भी खास बना देगा और भक्तों को मनवांछित फल भी देगा.

6 सितंबर की मध्य रात्रि में अष्टमी तिथिः विनय कुमार पांडेय ने बताया कि भाद्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी 6 सितंबर को शाम 7:08 पर लग रही है, जो 7 सितंबर के शाम 7:52 तक रहेगी. रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर 2:39 से हो रही है, जो 7 सितंबर की दोपहर 3:07 तक रहेगी. इसलिए 6 सितंबर की मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि और रोई नक्षत्र का जो दुर्लभ संयोग है. वह जन्माष्टमी के लिए उत्तम है. इसीलिए जन्माष्टमी 6 सितंबर की रात्रि 12:00 बजे के बाद मनाई जाएगी, तो विशेष फलदाई होगी.


विनय कुमार पांडेय ने बताया कि जन्मोत्सव और जयंती के भेद से दो प्रकार के अंतर होते हैं. इसमें भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी के नाम से जानी जाती है. अष्टमी यदि रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है तो जयंती नामक योग का निर्माण करती है. यह जयंती व्रत अन्य व्रत की अपेक्षा विशिष्ट फल प्रदान करता है. उन्होंने बताया कि विष्णु रहस्य में यह स्पष्ट है कि भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी यदि रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है, तो जयंती का योग बनता है. यह जयंती योग सभी पापों को नष्ट करने वाला योग माना गया है.

अष्टमी तिथि का समापन 7 सितंबर को रात्रि में 7:52 बजे होगाःवहीं, संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के ज्योतिषी पंडित दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि का प्रारंभ दिनांक 6 सितंबर 2023 को रात्रि में 7:58 के पक्ष अष्टमी लग जा रही है. अष्टमी तिथि का समापन 7 सितंबर को रात्रि में 7:52 पर हो रहा है. ऐसा कहा जाता है की व्रत के समय पराया है. अष्टमी तिथि रात्रि में भगवान का 12:00 बजे जन्म हुआ है. इसलिए दिनांक 6 सितंबर 2023 को ही जन्माष्टमी सर्वमान्य है और सभी के लिए उपयुक्त है. लेकिन कुछ लोग नक्षत्र प्रधान मान करके और उदय नक्षत्र प्रधान मान करके 7 सितंबर को मानेंगे.

अष्टमी का व्रत 6 सितंबर को ही होगाः दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि किंतु यह गोकुल के लोगों के लिए केवल ग्राही है, क्योंकि गोकुल में नंद उत्सव मनाया जाता है. इसलिए उनके लिए मान्य है और बाकी सभी के लिए अष्टमी का व्रत 6 सितंबर को ही रहेगा. ज्योतिष आचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र का अभिमन्यु दिनांक क्षेत्र सितंबर को ही है. 7 सितंबर को रोहिणी नक्षत्र रात्रि में 12:00 नहीं है. इस बार भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव में कई प्रकार के योग बन रहे हैं. इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग और साथ-साथ में हर्षण योग एवं सिद्धि योग में जन्माष्टमी मनाया जाएगा.

यह भी पढ़ें: वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी शुरू, हिंदू-मुस्लिम मिलकर तैयार कर रहे ठाकुरजी के लिए पोशाक

यह भी पढ़ें: अलीगढ़ के लड्डू गोपाल की मूर्तियों की विदेश में बढ़ी मांग, 1000 करोड़ का व्यापार

ABOUT THE AUTHOR

...view details