उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

वीवंडर फाउंडेशन की सराहनीय पहल! फिर से घर-आंगन आने लगी है गौरैया

देश में हर साल 20 मार्च का दिन विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य लोगों को गौरैया के प्रति जागरुक करना है. गौरैया के संरक्षण में वीवंडर फाउंडेशन ने एक खास भूमिका निभाई है. आइए जानते हैं क्या है ये....

वीवंडर फाउंडेशन

By

Published : Mar 21, 2021, 4:35 PM IST

वाराणसी: चीं-चीं, चूं-चूं करती चिड़िया, फुर्र-फुर्र उड़ जाती चिड़िया, फुदक-फुदक कर गाना गाती, रोज सवेरे हमें जगाती. हम सबने बचपन में यह कविता कंठस्थ की होगी. नतीजा यह कि आंगन से चिड़ियों की चहचहाहट ही गायब हो गई थी. लेकिन वीवंडर फाउंडेशन के पिछले 3 साल के प्रयास से गौरैया फिर से घर-आंगन में वापस आने लगी है.

वीवंडर फाउंडेशन की सराहनीय पहल!

फाउंडेशन की मदद से रोज सवेरे गूंजने वाली गौरैया की चहचहाट को वापस लाने के लिए कोशिशें शुरू हुईं. फाउंडेशन को लोगों का समर्थन भी मिला. शहर में कृत्रिम घोंसले लगाए गए. लोग छतों और चहारदीवारी पर दाना-पानी रखने लगे. कोशिशें रंग लाईं और रूठी गौरैया वापस लौटने लगी. अब जरूरत इस बात की है कि इन कोशिशों को जारी रखा जाए. इसीलिए हर वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है.

फिर से घर-आंगन गौरैया को लाने की तैयारी

यह है संस्था का उद्देश्य

वीवंडर फाउंडेशन टीम का कहना है कि कंक्रीट में बदलते शहरों में गौरैया के प्राकृतिक स्थल खत्म होते जा रहे हैं. न अब आंगन रहे और न ही रोशनदान. हरियाली भी सिमटती जा रही है. ऐसे में कृत्रिम घोंसले लगाकर गौरैया को आसरा देने की मुहिम बीते कई सालों से की जा रही है. इसका परिणाम भी काफी अच्छा रहा है. इन घोंसलों को चिड़िया ने अपना आशियाना बना लिया है. अब जरूरत इस बात की है कि अब देश के अलग अलग जगहों पर गौरैया पार्क विकसित किए जाएं. जिससे गौरैया संरक्षण किया जा सके.

वीवंडर फाउंडेशन की सराहनीय पहल!


किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती गौरैया

गौरैया ही एक ऐसी चिड़िया है जो घरों में परिवारजनों के साथ रहती हैं. हमारे नजदीक तक आती हैं, अंडे देती हैं और परिवार बढ़ाती हैं. ये किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती और यही वजह है कि इसका कलरव घर में खुशियां लाता है. गौरैया संरक्षण की दिशा में बच्चों का रुझान बहुत ही सराहनीय रहा है. लेकिन अब समय आ गया है कि बच्चे ही नहीं अब सभी आयुवर्ग के लोगों को आगे आना होगा और गौरैया को बचाने के लिए तेजी से कार्य करना होगा. बढ़ता प्रदूषण, आवास में कमी, पेड़ों की घटती संख्या और सब्जी पर अनाज में कीटनाशकों का इस्तेमाल गौरैया की संख्या के कमी के बड़े कारण हैं.

20 मार्च का दिन विश्व गौरैया दिवस
गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में फाउंडेशन की खास पहलवीवंडर फाउंडेशन के चेयरमैन गोपाल कुमार ने बताया कि फाउंडेशन की नींव 14 दिसंबर 2017 को रखी गई थी. जैसा कि नाम वीवंडर, जिसका अर्थ घुमक्कड़ होता है, घुमक्कड़ों की टीम जो अलग-अलग जगह घूम-घूम कर कुछ एक स्तर तक समस्याओं के निदान पर विचार कर उसे समाज में एक सार्थक रूप दे. वीवंडर फाउंडेशन संस्था की नींव इस सोच के साथ शुरू की थी कि अपने व्यस्ततम निजी जिंदगी में से मात्र एक घंटे का समय निकाल कर समाज के कुछ समस्याओं का उद्धार करने का प्रयास कर सकेंगे, संस्था का कोई भी सदस्य कहीं भी रहे कभी भी समाज के लिए एक घण्टे का समय निकाल सकें.

8000 से अधिक पक्षियों के घोंसले किए वितरित

हालांकि संस्था उस सोच को लेकर आज परस्पर 3 सालों से आगे बढ़ रही है, संस्था के सभी सम्मानित सदस्यों ने अब इस सोच को देशव्यापी बनाने का प्रयास कर रहे हैं. संस्था का उद्देश्य वातावरण में पक्षियों और उनके आवास का संरक्षण करना है. पक्षी संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता निरपेक्ष है, हम समानता पर विश्वास करते हैं, और संस्था का ऐसा मानना है कि पक्षी और उनके आवासों का संरक्षण मानव सहित अन्य सभी प्रजातियों को किसी ना किसी रूप में लाभ ही पहुंचाता है. पिछले 3 सालों से हम गौरैया संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. हमने करीब 150 से अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम संपन्न किया है और लकड़ी से बने करीब 8000 से अधिक पक्षियों के घोंसले वितरित किए हैं.

संस्था ने किए कई सराहनीय कार्य

उन्होंने कहा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हमने विभिन्न स्थानों पर 16,000 से अधिक पौधारोपण किया है. संस्था को गौरैया संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार 2019 और विभिन्न संगठन से 10 अन्य पुरस्कारों से भी नवाजा गया है. लॉकडाउन के दौरान वीवंडर फाउंडेशन ने ऑनलाइन वर्कशॉप का आयोजन किया. संस्था ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से घोंसले बनाने का प्रशिक्षण दिया. इस प्रशिक्षण के दौरान करीब हजारों लोग जुड़े. कोरोना लॉकडाउन की वजह से सारे स्कूल और कॉलेज बंद होने की वजह से संस्था ने जीवा नामक पत्रिका निकाली. जिसके माध्यम से गौरैया पक्षी बचाओ अभियान को एक नया रूप दिया जा सके.

10 लाख लोगों तक पहुंचाई गई पत्रिका

ये पत्रिका ऑनलाइन और सोशल मीडिया के माध्यम से करीब 10 लाख लोगों तक पहुंचाई गई. हाल ही में दूरदर्शन ने गौरैया बचाओ अभियान पर एक डॉक्यूमेंट्री भी सूट की. जिसका प्रसारण 20 मार्च गौरैया दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन पर किया जाएगा.

लोगों से अपील

उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी से एक ही निवेदन है कि आप घर में या घर के आस पास एक घोंसला जरूर रखें और एक पौधों भी लगाए, और अपने साथ-साथ बाकी के अपने साथियों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें, ऐसा कर पर्यवारण संरक्षण के मुहिम में अपनी सहभागिता दर्ज करें.

ABOUT THE AUTHOR

...view details