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वाराणसी : जल संरक्षण के विषय पर वेबिनार का आयोजन, विशेषज्ञों ने दिए सुझाव - varanasi news

वाराणसी में वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें जल संरक्षण, उससे जुड़ी चुनौतियां एवं समाधान विषय पर चर्चा की गई. पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त प्रयास से इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ. सभी संभ्रांत लोगों ने इस पर अपने-अपने सुझाव दिए.

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Published : Jun 7, 2020, 3:09 PM IST

वाराणसी:पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त प्रयास से 'जल संरक्षण- चुनौतियां एवं समाधान' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया. इस राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य अतिथि मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरूष राजेंद्र सिंह थे. उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारी जरूरत पूरी करती है, इसलिए हमें इसके अनुसार जीवन जीना होगा. हम प्रकृति की रक्षा और आस्था में विश्वगुरू बन सकते हैं. भारतीय समाज में पर्यावरण की रक्षा करने वालों का हमेशा सम्मान किया जाता रहा है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को हम जल संरक्षण कर मजबूत कर सकते हैं.

राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर मृत्युंजय मिश्र ने कहा कि प्रचीन भारत में पानी की कोई कमी नहीं थी क्योंकि जल के कई स्रोत थे. वर्तमान समय में जल के स्रोत कम होने से जल का संकट हमारे सामने आया है. यदि तृतीय विश्व युद्ध की विभीषिका से बचना है तो जल संरक्षण करना होगा. हम जल संरक्षण की प्रभावी नीति बना कर जल संकट से बच सकते हैं. जल संकट के लिए मल्टीनेशनल कंपनियां विशेष रूप से जिम्मेदार हैं. हमें जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाते हुए जल संसाधनों का भी संरक्षण करना चाहिए. जल संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रोफेसर मृत्युंजय मिश्रा ने 4 आर (रेड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल और रीचार्ज) का मंत्र दिया.

पानी का दुरुपयोग सामाजिक अपराध
राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर टीएन सिंह ने कहा कि पानी का दुरुपयोग सामाजिक अपराध है. पानी का दुरुपयोग करने वाले लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए. हमें आर्थिक बजट के समान ही जल बजट भी बनाने की आवश्यकता है. हमें अपने मानसिकता में परिवर्तन लाते हुए जल संरक्षण करना चाहिए और हमें प्रकृति के साथ चलना चाहिए.

जल संरक्षण के लिए युवाओं को आगे आना जरूरी
दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के सह संयोजक डॉक्टर कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि युवा सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं. इसलिए जल संरक्षण के क्षेत्र में युवाओं की सक्रिय भूमिका आवश्यक है. राष्ट्रीय सेवा योजना समाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण का प्रमुख माध्यम हैं. जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें निरन्तर वृक्षारोपण का कार्य करना चाहिए. आने वाले समय में बिना पेड़ और पानी के हमारा जीवन संभव नहीं है.

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