वाराणसी:पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त प्रयास से 'जल संरक्षण- चुनौतियां एवं समाधान' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया. इस राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य अतिथि मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरूष राजेंद्र सिंह थे. उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारी जरूरत पूरी करती है, इसलिए हमें इसके अनुसार जीवन जीना होगा. हम प्रकृति की रक्षा और आस्था में विश्वगुरू बन सकते हैं. भारतीय समाज में पर्यावरण की रक्षा करने वालों का हमेशा सम्मान किया जाता रहा है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को हम जल संरक्षण कर मजबूत कर सकते हैं.
राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर मृत्युंजय मिश्र ने कहा कि प्रचीन भारत में पानी की कोई कमी नहीं थी क्योंकि जल के कई स्रोत थे. वर्तमान समय में जल के स्रोत कम होने से जल का संकट हमारे सामने आया है. यदि तृतीय विश्व युद्ध की विभीषिका से बचना है तो जल संरक्षण करना होगा. हम जल संरक्षण की प्रभावी नीति बना कर जल संकट से बच सकते हैं. जल संकट के लिए मल्टीनेशनल कंपनियां विशेष रूप से जिम्मेदार हैं. हमें जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाते हुए जल संसाधनों का भी संरक्षण करना चाहिए. जल संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रोफेसर मृत्युंजय मिश्रा ने 4 आर (रेड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल और रीचार्ज) का मंत्र दिया.