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वाराणसी: बोले किसान नेता, 'पूंजी घरानों को देश की कृषि सौंपने का कानून दुर्भाग्यपूर्ण'

वाराणसी में पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'कृषि कानून 2020: मुद्दे और चुनौतियां' विषयक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें किसान नेताओं ने भाग लिया और चर्चा की.

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वर्चुअल संवाद में किसान बिल पर चर्चा करते नेता.

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Published : Sep 29, 2020, 9:11 PM IST

वाराणसी: पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'कृषि कानून 2020: मुद्दे और चुनौतियां' विषयक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने किया. इस अवसर पर आयोजित सभा को राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वी. एम. सिंह ने संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि उद्योग-व्यापार जगत की ग्रोथ को रसातल में पहुंचाने वाले पूंजी घरानों को देश की कृषि सौंपने का कानून दुर्भाग्यपूर्ण है, जो किसानों के हितों पर गहरा आघात करेगा. उन्होंने कहा कि 67 साल से यूपी में गन्ने का किसान कॉन्ट्रैक्ट खेती करता और खून के आंसू रोता है. क्या अभी तक कश्मीर का सेब या अखरोट और महाराष्ट्र के केला या प्याज देश भर में नहीं जाता रहा है. वह तब व्यापारी करता था और अब बड़ा उद्योगपति करेगा.

उन्होंने कहा कि किसान अपना धान गेंहू लेकर चेन्नई नहीं जा सकता. पहले भी 25 का बासमती किसान से लेकर 155 में ब्रांड बनाकर जो बेचते थे, उनको देशभर में खेती पर अकेले आधिपत्य का कानूनी हक अब मिल गया है. उस पर न्यूनतम दर की बंदिश नहीं होगी और उनकी जमाखोरी और भी ज्यादा मुनाफा उनका कानूनन हक होगा.

आम किसान समाज के संस्थापक सदस्य केदार सिरोही ने कहा कि किसान की बात कर संसद में गये लोगों ने किसान को धोखा दिया है. एक देश, एक बाजार के नारे के साथ बने कानून का अर्थ है देश में एक व्यापारी के हाथ में कृषि बाजार. सरकार ने किसान की आंख में लाल और काली मिर्च मिलाकर झोंकी है. किसान के पास इन कंपनियों का विकल्प नहीं होगा और उनके शोषण से बचने के लिये अदालत से गुहार का हक भी नहीं होगा.

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