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पंचायत चुनाव 2021: आरक्षण सूची को लेकर घमासान, धांधली का आरोप - एडीओ एग्रीकल्चर दिनेश सिंह

वाराणसी में जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, बीडीसी एवं ब्लॉक प्रमुख की आरक्षण सूची जारी होने के बाद घमासान मचा हुआ है. कई दावेदार आरक्षण सूची में धांधली का आरोप लगाकर सेवापुरी ब्लॉक कार्यालय विरोध प्रदर्शन करते हुए चुनाव के बहिष्कार करने की चेतावनी दी है. आरक्षण सूची में संशोधन के लिए CM योगी को ज्ञापन भेजा है.

आरक्षण सूची में संशोधन के लिए एडीओ से मिले ग्रामीण.
आरक्षण सूची में संशोधन के लिए एडीओ से मिले ग्रामीण.

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Published : Mar 7, 2021, 10:06 AM IST

वाराणसी: जिले में कई जगहों पर आरक्षण सूची को लेकर लोगों के आपत्ति भरे पत्र लगातार अधिकारियों को प्राप्त हो रहे हैं. सेवापुरी क्षेत्र स्थित भीषमपुर गांव के लोग पंचायत चुनाव आरक्षण सूची में धांधली का आरोप लगाकर ब्लॉक परिसर में शनिवार को विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. आरक्षण सूची में संशोधन न होने पर ग्रामीणों ने चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी दी. उनका कहना है कि अगर, आरक्षण सूची में बदलाव नहीं किया गया तो 15 मार्च से ग्रामीण क्रमिक अनशन पर बैठकर आंदोलन को तेज करेंगे.

ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को भेजी 105 आपत्तियां
शनिवार की दोपहर भीषमपुर गांव के पूर्व प्रधान राकेश सिंह बड़ी संख्या में लोगों के साथ सेवापुरी ब्लॉक में आपत्तियां दर्ज कराने पहुंचे. पंचायत चुनाव आरक्षण सूची में धांधली का आरोप लगाकर सरकार विरोधी नारे लगाए और ब्लॉक मुख्यालय में लगे पोस्टर एवं होर्डिंग हटाने लगे. आक्रोशित ग्रामीणों को देख अधिकांश कर्मचारी पिछले दरवाजे से कार्यालय का ताला बंद कर रफूचक्कर हो गए. ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पंचायत अधिकारियों को संबोधित ज्ञापन एडीओ एग्रीकल्चर दिनेश सिंह को सौंपकर उनकी मांगों पर विचार करने की बात कही. ग्रामीणों ने ADO से कहा कि अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों की दलील है कि गांव में 75 फीसदी से अधिक सामान्य जाति के लोग हैं, जबकि ओबीसी एवं दलित जाति के लोगों की संख्या नाम मात्र है. फिर भी गांव को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया.

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आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को देंगे झटका
ग्रामीणों का कहना है कि 2005 में भी यह गांव अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. जिस तथ्य को छिपाकर गांव को आरक्षण सूची में डाल दिया गया. ग्रामीणों की मांग है कि जिस गांव में जिस जाति के लोगों की बाहुल्यता हो उसको उस श्रेणी में रखा जाय. ग्रामीणों ने प्रदेश की योगी सरकार को सवर्ण विरोधी करार दिया. ग्रामीणों ने कहा कि अगर सूची को संशोधित नहीं किया गया तो आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को खामियाजा भुगतना पडे़गा.

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