वाराणसी: इन दिनों ईंधन की लगातार बढ़ रही कीमतों से हाहाकार मचा हुआ है. पहले पेट्रोल और डीजल और अब गैस सिलेंडर के बढ़े दाम पब्लिक को परेशान करने वाले साबित हो रहे हैं. अब कहीं न कहीं डीजल के दाम पेट्रोल के बराबर पहुंच चुके हैं. इसका सीधा असर ट्रांसपोर्टेशन पर पड़ रहा है. बाजार में आने वाली सब्जियां हों या फिर अनाज या फिर रोजमर्रा की जरूरत का सामान सभी को ट्रांसपोर्ट के जरिए ही एक राज्य से दूसरे राज्य तक लाने का काम होता है. डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों ने सबसे गहरा असर आम आदमी के रसोई पर डाला है. ट्रांसपोर्टेशन की बढ़ी कीमतों के कारण सब्जियों के दामों में भी उछाल आया है.
तेल की बढ़ रही कीमतों ने घर का बिगाड़ा बजट, सब्जी के दामों में उछाल - वाराणसी सब्जी मंड़ी
ईंधन की बढ़ रही कीमतों की वजह से सब्जी मंडी में बिकने वाली सब्जियों की कीमतें अचानक से बढ़ने लगी हैं.डीजल की बढ़ रही कीमतों का गहरा असर सब्जियों पर पड़ा है. इसकी वजह से एक तरफ जहां प्याज धीरे-धीरे आसमान छू रहा है वहीं टमाटर समेत अन्य सब्जियों की कीमतें भी डीजल की बढ़ रही कीमतों के कारण ट्रांसपोर्टेशन के बढ़ रहे रेट के चलते तेजी से बढ़ रही हैं.
बीते लगभग 1 महीने की अगर बात की जाए तो इस सीजन में कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर सब्जियों का साफ तौर पर देखने को मिला. दिसंबर तक जो आलू 40 रुपये किलो तक बिक रहा था उसकी कीमतें जनवरी के अंतिम सप्ताह तक 10 रुपये किलो तक आ गई. कुछ इसी तरह प्याज की कीमतें भी 20 से 25 रुपए के बीच रहीं, टमाटर की कीमतें भी घट गई थी, लेकिन अब जब मौसम के बदलाव की वजह से सब्जियों की कीमतें कम होनी चाहिए थी, उस समय डीजल की बढ़ रही कीमतों का गहरा असर सब्जियों पर पड़ा है. इसकी वजह से एक तरफ जहां प्याज धीरे-धीरे आसमान छू रहा है वहीं टमाटर समेत अन्य सब्जियों की कीमतें भी डीजल की बढ़ रही कीमतों के कारण ट्रांसपोर्टेशन के बढ़ रहे रेट के चलते तेजी से बढ़ रही हैं.
सब्जियां | पहले (प्रति किलो) | अब (प्रति किलो) |
प्याज | 15- 20 | 45-50 |
आलू | 8-10 | 12-15 |
टमाटर | 10 | 20 |
गाजर | 30 | 40 |
शिमला | 35 | 40 |
लौकी | 20 | 20 |
मटर | 30 | 35-40 |
नींबू | 2 रुपये पीस | 5 रुपये पीस |
ट्रांसपोर्टर्स पर भी पड़ रहा गहरा असर
ईंधन की बढ़ रही कीमतों की वजह से सब्जी मंडी में बिकने वाली सब्जियों की कीमतें अचानक से बढ़ने लगी हैं, इसकी बड़ी वजह ट्रांसपोर्टर्स का ना चाहते हुए भी भाड़ा बढ़ाया जाना माना जा रहा है. ट्रांसपोर्टर्स का साफ तौर पर कहना है कि डीजल की कीमतों की वजह से गाड़ी मालिक पुराने मुनाफे पर काम करने को तैयार नहीं हो रहे हैं. जिसकी वजह से ना चाहते हुए भाड़े में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है. इसका सीधा असर माल ढुलाई पर पड़ रहा है और मंडियों में पहुंच रहे अनाज से लेकर सब्जियों तक की कीमतें फुटकर बाजार तक पहुंचते-पहुंचते बढ़ जा रही हैं. यह स्थिति आगे कब तक जारी रहेगी यह तो नहीं पता, लेकिन सरकार को इन समस्याओं पर ध्यान जरूर देना चाहिए.