वाराणसी:कहते हैंमेहनत करने वालों को सफलता जरूर मिलती है. कोरोना काल में एक तरफ जहां युवा अपनी नौकरी बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोगों के लिए यह आपदा अवसर के रूप में सामने आ रही है. ऐसे ही आपदा में अवसर की एक कहानी वाराणसी के मोहित की है. काशी का यह युवा एमएनसी में नौकरी छोड़ कर अपने गांव नारायणपुर आया, जहां वह मधुमक्खी पालन कर लोगों के लिए नजीर बन रहा है.
MNC की नौकरी छोड़ ये युवा बना लोगों के लिए नजीर, जानें कैसे - honey bee farming
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन को वाराणसी जिले के युवा आत्मसात कर रहे हैं. एमएनसी की नौकरी छोड़कर आए युवा मोहित इन दिनों मधुमक्खी पालन कर लोगों के नजीर बन रहे हैं.
वाराणसी मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर नारायणपुर में रहने वाले मोहित आनंद पाठक एमबीए करने के बाद दिल्ली की एमएनसी में उच्च पद पर काम कर रहे थे. लेकिन कोविड-19 की आपदा उनके लिए अवसर लेकर आई. कोविड-19 में उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ कर अपने गांव आने का निर्णय लिया. यहां पर ट्रेनिंग लेकर उन्होंने आधुनिक तकनीकों की मदद से मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. इतना ही नहीं मोहित ने इस काम में गांव के युवाओं और महिलाओं को भी जोड़ना शुरु किया है. इस तरीके से मोहित सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं. ख़ास बात यह है कि बनारस के सांसद व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन युवाओं के जज्बे को सराहा है.
उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन ऐसा कार्य है, जिसमें कम मेहनत में बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके लिए हमें अत्यधिक जमीन या संसाधन की जरूरत नहीं है, बस थोड़ी सी तकनीकी का प्रयोग कर मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बहुत सारे युवा नौकरी की राह में अपना गांव छोड़कर शहर जा रहे हैं. ऐसे युवाओं के लिए यह तकनीक बेहद अच्छी है. उन्होंने बताया कि अपने गांव के युवाओं और महिलाओं को ट्रेनिंग के जरिए मधुमक्खी पालन करने का तरीका सिखा रहा हूं, जिससे वे लोग भी आत्मनिर्भर बन सकेंगे.