वाराणसी: पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी देश में सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले शहरों में दूसरे स्थान पर पहुंच गया. क्लाइमेट संस्था की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी में वायु प्रदूषण सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी का एक्यूआई 30 सितंबर को 256 तक पहुंच गया. जिसमें सबसे अधिक पार्टिकुलेट मैटर 400 पाया गया. इस प्रकार वायु प्रदूषण में सितंबर माह के अंतिम दिन बनारस देश का दूसरा प्रदूषित शहर रहा.
30 सितंबर को देश के सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले शहरों में दूसरे स्थान पर रहा बनारस - second most polluted city of india
उत्तर प्रदेश का वाराणसी जिला सितंबर माह के अंतिम दिन देश का दूसरा प्रदूषित शहर रहा. 30 सितंबर 2020 को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर को वाराणसी शहर का एक्यूआई 256 तक पहुंच गया था.
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सामाजिक संस्था क्लाइमेट एजेंडा ने इस पर एक रिपोर्ट जारी की है. संस्था की निदेशक एकता शेखर ने बताया कि इस समय जहां एक और कोविड-19 के आंकड़ों में बढ़ोतरी हो रही है. वहीं दूसरी ओर वायु प्रदूषण के आंकड़ों का बेहद खराब स्तर पर पहुंचना चिंता का विषय है. कोविड-19 आपदा के दौरान लागू संपूर्ण लॉकडाउन में सभी ने स्वच्छ वायु को महसूस किया और वायु गुणवत्ता के आंकड़े भी मानक के अनुकूल ही रहे. इसका कारण सभी औद्योगिक इकाइयों का बंद रहना, सड़कों पर डीजल-पेट्रोल से चलित वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित रहना और कूड़े-कचरे का जलना भी बंद रहा. ऐसे ही अनेक कारण रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के कुछ दिन बाद ही उत्तर प्रदेश के कई शहर लखनऊ, वाराणसी, और आगरा जैसे शहर में हवा एक बार फिर से बोझिल हो गई है.
उन्होंने कहा कि जहरीली हवा एलर्जी, अस्थमा, कैंसर जैसे गंभीर रोगों के साथ ही यह हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी नष्ट कर सकती है. डब्ल्यूएचओ व भारत सरकार का कहना है कि कोविड-19 से बचने के लिए अपने इम्यून सिस्टम का ध्यान रखना है. हवाई गुणवत्ता निगरानी स्टेशन की जारी आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी शहर की हवा सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई है. जिसमें पार्टिकुलेट मैटर 400 सबसे अधिक गया.