उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

वाराणसी: आज है सावन के सोमवार के साथ सोम प्रदोष, भोलेनाथ की आराधना देगी विशेष फल - varansi sawan somwar

आज सावन के सोमवार के साथ प्रदोष व्रत भी है. इसलिए आज भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से दोहरा लाभ मिलेगा. जानिए प्रदोष काल का समय.

etv bharat
सावन का महीना

By

Published : Jul 25, 2022, 9:55 AM IST

वाराणसी: भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में भगवान शिव की महिमा अनंत है और प्रदोष व्रत के उपास्य देवता भगवान शिव ही माने जाते हैं. भगवान शिव की विशेष अनुकंपा पाने के लिए शिव पुराण में विविध व्रतों का उल्लेख बताया गया है. इसमें प्रदोष व्रत अत्यंत प्रभावशाली और शीघ्र फल देने वाला है. प्रदोष व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष बेला मिलती है. उसी दिन प्रदोष व्रत रखना शुभ माना जाता है और प्रदोष काल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना गया है. इस अवधि में भगवान शिव की पूजा प्रारंभ करते हुए इसे जारी रखना अति फलदाई है. आज उत्तम व्रत है जो अपने आप में विशेष फलदाई है. क्योंकि, सावन के द्वितीय सोमवार के साथ प्रदोष व्रत दोहरा लाभ देगा.

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि 25 जुलाई सोमवार को शाम 4:16 पर त्रयोदशी तिथि लगने जा रही है, जो 26 जुलाई मंगलवार को शाम 6:48 तक रहेगी. प्रदोष बेला में त्रयोदशी तिथि का मान 25 जुलाई सोमवार को होने के फलस्वरूप प्रदोष व्रत सोमवार को ही माना जाएगा. यह दिन अपने आप में इसलिए भी विशेष है, क्योंकि सावन के द्वितीय सोमवार पर प्रदोष का मिलना अपने आप में अद्भुत संयोग होता है और सोम प्रदोष के साथ सावन के सोमवार का व्रत करते हुए भोलेनाथ की आराधना विशेष फल देने वाली होती है.

इसे भी पढ़े-सावन का महीना आरंभ, सोमवार को बन रहे कई शुभ योग, जानें श्रावण का महात्म्य


ज्योतिषविद विमल जैन का कहना है कि इस दिन सबसे पहले सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठने के बाद समस्त दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर अपने आराध्य की पूजा करनी चाहिए. उसके बाद दाहिने हाथ में जल लेकर पुष्प, फल, गंध, कुशा लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प करना चाहिए. संपूर्ण दिन निराहार रहते हुए शाम को स्नान आदि करके पूरब दिशा या उत्तर दिशा की तरफ मुंह कर प्रदोष काल में भगवान शिव का विधि विधान से पूजन करना चाहिए. भगवान शिव का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, सुगंधित द्रव्य, बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतूफल, नैवेद्य आदि जो भी आपके पास हो वह अर्पित करना चाहिए और बाबा का सिंगार करते हुए धूप दीप नैवेद्य से उनका आवाहन करना चाहिए. इस दौरान शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म या चंदन का तिलक लगाकर भगवान शिव का पूजन करें. शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कंद पुराण में वर्णित प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करने से अति उत्तम फल की प्राप्ति होती है.

ऐसी ही जरुरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत

ABOUT THE AUTHOR

...view details