वाराणसीःजिले में रेलवे प्रशासन ने सर्व सेवा संघ भवन (Sarva Seva Sangh) के ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है. इसके बाद से बीते 63 दिनों से इसे बचाने की लड़ाई जारी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद शनिवार को प्रशासन ने परिसर खाली कराने की भी कवायद शुरू कर दी है. भवन खाली कराने के लिए एडीएम सिटी समेत कई थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची. परिसर को खाली कराने के लिए मौके पर पहुंची पुलिस को देखकर यहां मौजूद लोगों ने भी धरना प्रदर्शन की शुरुआत कर दी है.
गौरतलब है कि वाराणसी में शनिवार सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद प्रशासनिक कार्रवाई की शुरुआत की जा रही है. परिसर में रहने वाले लोगों का मकान खाली कराने के बाद बुलडोजर चलने की भी उम्मीद है. 27 जून 2023 को जिला प्रशासन की ओर से भवन को खाली कराने का आदेश दे दिया गया था. इसके बाद से संघ के सभी सदस्य धरने पर बैठे थे. मौके पर मौजूद परिषद के सदस्य राम धीरज ने कहा, 'प्रशासन हमारे साथ मनमानी कर रही है. हमने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशानुसार सिविल कोर्ट में वाद डाला है. शुक्रवार को जज के मौजूद न होने पर सुनवाई नहीं हो सकी थी. ऐसे में शनिवार को बिना किसी सूचना के हमारे भवन को खाली कराने के लिए पुलिस वाले पहुंचे. हमें घरों से बाहर निकाल दिया. हमने जब सवाल किया, तो कह रहे हैं वकील को बुलाइए.'
राम धीरज ने आगे कहा, 'जब हमारा वकील आया तो वो हमें कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं. हमने उनसे बस कुछ समय का मौका मांगा, ताकि हम यहां जिला जज से वाद पर बात कर सके. यदि यहां से भी से खारिज किया जाता है, तो हम हाईकोर्ट चले जाएं, वहां से भी खारिज किया जाता है, तो हम सुप्रीम कोर्ट चले जाएं. यदि उसके बाद भी मामला खारिज हो जाता है, तो बुलडोजर के जरिए हम सभी को कुचल के इस भवन को नेस्तनाबूत कर दें. हम कुछ नहीं कहेंगे.'
मालिकाना हक को लेकर विवाद दरअसल, सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच मालिकाना हक को लेकर बीते माह सुनवाई हुई थी. वाराणसी जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने सुनवाई करते हुए रेलवे के हक में फैसला दे दिया. उन्होंने बकायदा संघ की भवन को अवैध निर्माण घोषित करते हुए. जमीन को खाली कराने के निर्देश भी दे दिए. इसके बाद रेलवे प्रशासन ने 30 जून को संघ भवन को ध्वस्त करने की तिथि भी निर्धारित कर दी थी. शुरुआत के क्रम में यहां के लोगों ने जिला प्रशासन के फैसले पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने इसे खारिज करते हुए मामले की सुनवाई निचली कोर्ट में करने का आदेश दिया. इसके बाद इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस पंकज मित्तल ने भी वादी पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी. अंत में इन्होंने हाईकोर्ट के निर्देशानुसार निचली अदालत में सुनवाई के लिए याचिका डाला. लेकिन, शुक्रवार को जज मौजूद न होने के कारण सुनावई नहीं हो सकी.
प्रियंका गांधी ने जताया विरोधःइस मामले में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी प्रशासन की कार्रवाई का विरोध कर रही है. उन्होंने सर्व सेवा संघ परिसर को ढहाने की कार्रवाई को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत पर हमला बताया. प्रियंका ने कहा, 'ये संघ आचार्य विनोबा भावे, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री और बाबू जगजीवन राम के प्रयासों का परिणाम है. इसका मकसद गांधी जी के विचारों का प्रचार-प्रसार करना था. इन्हीं महापुरुषों के नेतृत्व में यह जमीन भी खरीदी गई थी. आज भाजपाई प्रशासन ने इसे अवैध बताकर कार्रवाई शुरू कर दी है. महात्मा गांधी जी के विचारों और उनकी विरासत पर एक और हमला करने की कोशिश की गई है. हम संकल्प लेते हैं कि महात्मा गांधी की विरासत पर हो रहे हर हमले के खिलाफ डटकर खड़े रहेंगे.'