वाराणसी: कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को डांवाडोल कर दिया है. नवरात्र, दशहरा और दिवाली से पहले व्यापारी सशंकित थे कि इस बार बाजार का क्या होगा. दुकानों पर सन्नाटा और लोगों का घरों के बाहर न निकलना व्यापारियों की चिंता बढ़ा रहा था. हालांकि दशहरे से शुरू हुआ त्योहारी सीजन धीरे-धीरे व्यापारियों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाला साबित हुआ. दिवाली नजदीक आने से पहले ही बाजार में रौनक दिखने लगी और व्यापारियों के मायूस चेहरे खिल गए. लॉकडाउन और आर्थिक संकट की मार झेल रहे खुदरा कपड़ा बाजार को त्योहारों ने ऑक्सीजन देने का काम किया है.
वाराणसी का कपड़ा बाजार गुलजार. ग्राहकों की उमड़ने लगी भीड़दशहरा और दिवाली के मौके पर खुदरा कपड़ा की बिक्री पिछले साल के मुकाबले कम तो है लेकिन संतोषजनक जरूर है. बनारस के सबसे बड़े खुदरा कपड़ा बाजार जालान्स में उमड़ रही ग्राहकों की भीड़ में बताने के लिए काफी है कि त्योहार के सीजन में कपड़ा बाजार की हालत अब सुधर चुकी है. दुकानदारों का कहना है कि दशहरे का हालात थोड़े चिंताजनक जरूर थे, लेकिन नवंबर का महीना शुरू होने के साथ ही राहत भरी चीजें देखने को मिल रही है. बाजार पिछले साल के मुकाबले अच्छा रिस्पांस कर रहा है. चीजें सुधर रही है और ग्राहकों का फुटफॉल भी बढ़ रहा है.
डर भूलकर लोग निकल रहे बाहरदुकानदारों का कहना है कि ग्राहक अब बाहर निकल रहे हैं. लोग कोरोना वायरस के डर को भूलकर खरीदारी कर रहे हैं. इसकी वजह से बीते 2-3 महीने पहले व्यापार में जो गिरावट दर्ज हुई थी उसमें त्योहार के सीजन में सुधार लाने का काम किया है. व्यापारियों का कहना है कि त्योहार के सीजन में जो स्थिति सुधरी है, उसका आगे भी बने रहना बेहद जरूरी है. यदि ग्राहकों का फुल फॉर्म और खरीदारी करने की प्लानिंग का सिलसिला ऐसे ही जारी रहा तो अगले एक-दो महीने में बाजार अपने पुराने रूप में वापस आ जाएगा.
व्यापारी फिर से स्टाफ को बुलाने लगेबड़े व्यापारी तो त्योहार के सीजन में खुश है लेकिन छोटे व्यापारियों का हाल भी ईटीवी भारत ने जाना. सड़क किनारे छोटी-छोटी दुकानें लगाकर खुदरा कपड़ा की बिक्री करने वाले व्यापारियों का भी कहना है कि अब जिंदगी पटरी पर लौट रही है. धीरे-धीरे ग्राहक पहुंच रहे हैं, त्यौहार ने उन्हें काफी बड़ी राहत दी है. हालात यह है कि लॉकडाउन के वक्त जिन स्टाफ को हटाने की नौबत आ गई थी अब उन्हें भी वापस बुलाया जा रहा है. यानी स्थिति सुधरने के बाद जिन की नौकरी गई, उनकी भी जिंदगी वापस पटरी पर आ रही है.
शून्य से ऊपर उठा आकंड़ाव्यापार मंडल के लोगों का भी मानना है कि त्यौहार ने व्यापारियों को बड़ी राहत दी है. बीते साल व्यापार 60 से 80% तक उठा था, लेकिन इस बार उतनी तो स्थिति अच्छी नहीं हुई है लेकिन जो 0 था वह 60 से 65% तक जरूर पहुंच गया है. नेपाल मंडल के लोगों का कहना है कि कपड़ा मार्केट की स्थिति बहुत बेहतर हुई है.