वाराणसी : वाराणसी में निकाय चुनाव की सरगर्मी से सियासी पारा बढ़ा हुआ है. पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते यहां पर भाजपा की जीत नाक का सवाल बन गया है. वहीं दो प्रमुख दलों के बागियों के तल्ख तेवरों की वजह से नेतृत्व परेशान है. बहरहाल इस सियासी तूफान से वाराणसी का निकाय चुनाव इस बार अलग ही लेवल पर जाता दिख रहा है. चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्टी. इनके बागी नेताओं ने शीर्ष स्तर के नेताओं का सिर दर्द बढ़ा दिया है. बीजेपी में लगभग 8 सिटिंग पार्षद के साथ कई अन्य प्रत्याशी बागी बने हुए हैं. वहीं समाजवादी पार्टी में भी लगभग 40 ऐसे प्रत्याशी हैं जो टिकट न मिलने से नाराज हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा - बागी प्रत्याशी बिगाड़ेंगे चुनावी गणित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय वाराणसी में निकाय चुनाव काफी रोमांचक हो गया है. भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सियासी जंग में बागियों की एंट्री क्या हश्र होगा यह तो 13 मई को पता चलेगा, लेकिन इसके पहले दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व का सिरदर्द जरूर बढ़ा हुआ है.
दांव पर नीलकंठ तिवारी की साख
अगर वाराणसी के दक्षिण विधानसभा की बात करें तो यहां के निर्दलीय भाजपा के बागी प्रत्याशी पार्टी के लिए रोड़े बनते नजर आ रहे हैं. यहां भाजपा नेता और विधायक नीलकंठ तिवारी हैं. इनकी साख भी दांव पर लगी है. वजह साफ है कि इन पर भी जिम्मेदारी है कि निकाय चुनाव बिना किसी परेशानी के निपटा लिया जाए. दक्षिणी विधानसभा से करीब 10 से ज्यादा बागी निर्दलीय प्रत्याशियों के मैदान में खड़े हो गए हैं.
पुराने कार्यकर्ता टिकट न मिलने से हुए नाराज
हर विधानसभा क्षेत्र में कई बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता थे, लेकिन उनके स्थान पर कई वार्ड से दूसरे प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया गया है. अब वही प्रत्याशी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत का दम भरते हुए दिख रहे हैं. उदाहरण के रूप में दक्षिणी विधानसभा की बात करें तो यहां 24 वार्ड हैं. जिनमें से 10 से 12 प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. कई तो भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं. ये सभी टिकट न मिलने के भाजपा से कटे हुए नजर आ रहे हैं.
मान-मनौव्वल भी नहीं आ रहा काम
वाराणसी के हालात देखते हुए हाईकमान एक्टिव हो गया है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बागियों को मनाने का प्रयास किया जा रहा है. कोशिश तो बहुत की जा रही हैं, लेकिन अभी तक किसी भी बागी प्रत्याशी को मनाने में सफलता नहीं मिल सकी है. आपको बता दें कि पार्टी ने लगभग 35 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया है. जबकि कुछ नए चेहरों को भी इस बार मौका दिया गया है. ऐसे में अब यह चुनाव भाजपा के लिए भी नाक की लड़ाई साबित होने वाला है.
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