वाराणसी : धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी संस्कृत और संस्कृति के विकास के लिए भी जानी जाती है. आदिकाल से इस ऐतिहासिक शहर ने संस्कृत को बढ़ाया है पूरे विश्व में पहुंचाया है. संस्कृत के प्रचार-प्रसार और उसकी उन्नति के लिए इन दिनों अनोखा कार्य किया जा रहा है. 14 दिन में छात्र हो या बुजुर्ग महिला हो या पुरुष सभी को संस्कृत बोलना सिखाया जा रहा है. संस्कृत भारती ( उत्तर प्रदेश) न्यास काशी के अंतर्गत संवादशाला चलायी जा रही है.
प्रत्येक महीने में संस्कृत बोलने के दो सत्र चलाए जाते हैं. प्रथम सत्र 1 तारीख से 14 तारीख तक होता है. जिसमें मोबाइल पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होता है. 14 दिनों तक आप मोबाइल का प्रयोग नहीं करेंगे. यह संवाशाला पार्श्वनाथ विद्यापीठ आईआईटी करौंदी लंका में चलाया जाता है. संवादशाला में प्रवेश के साथ ही ज्यादा से ज्यादा संस्कृत में लोग बात करते हैं. हर छोटी बड़ी चीज के लिए वहां पर 14 दिनों तक संस्कृत बोलना अनिवार्य रहता है. हर साइन बोर्ड और ऑफिस कार्यालय पर भी संस्कृत ही लिखा है.
संवादशाला में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश बिल्कुल आसान है. भारतीयों के लिए 1000 रुपये 14 दिन का शुल्क है. वहीं विदेशी छात्रों के लिए रुपये 2500 का शुल्क है. जिसमें आपको 14 दिनों तक रहना और खाना है. जिसमें परीक्षा शुल्क पत्रिका शुल्क है. बाकी भोजन आवास और शिक्षा फ्री है. 1 दिन में कुल 6 सत्र चलते हैं. मतलब छह क्लास चलाए जाते हैं. सुबह 5:00 बजे भोर में उठना है. योग और वंदना करना है. संस्कृत भारती पिछले वर्ष 2013 से अब तक लगभग दो लाख लोगों को संस्कृत बोलना सिखा चुकी है. साथ ही सैकड़ों विदेशियों को भी संस्कृत बोलना संस्था ने सिखाया है.