वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है. स्मार्ट बनने के लिए सड़कों, गलियों सरकारी कार्यालयों और पब्लिक को स्मार्ट करने का प्लान कई दिनों से चल रहा है. लेकिन, इन सब चीजों पर शहर की सफाई व्यवस्था हमेशा भारी नजर आती है. इसकी बड़ी वजह यह है कि लंबे वक्त से प्राइवेट हाथों में घर-घर कूड़ा कलेक्शन का काम दिए जाने के बाद भी अब तक स्मार्ट व्यवस्था न होने के कारण हर महीने पैसों के भुगतान को लेकर पब्लिक और कंपनी नगर निगम के बीच भी किच-किच बनी रहती है. इसके कारण अब इस व्यवस्था को डिजिटल तरीके से मैनेज करने का प्लान तैयार किया गया है. अब हर दरवाजे एक ऐसा बारकोड लगने जा रहा है, जिसको स्कैन करने मात्र से ही प्रतिदिन होने वाले कूड़े के उठान का डाटा अब नगर निगम के पास मौजूद रहेगा.
इस पूरे प्लान के बारे में वाराणसी नगर निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने बताया कि वाराणसी नगर निगम ने घर-घर कूड़ा कलेक्शन का काम प्राइवेट एजेंसी को दे रखा है. इसमें सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही है कि लोग कूड़ा तो देते हैं. लेकिन, जब महीने के अंत में पैसे देने की बारी आती है तो यह शिकायत करने लगते हैं कि कूड़ा उठता ही नहीं है तो पैसा क्यों दें. वहीं, जब एजेंसी से नगर निगम महीने के अंत में पैसे मांगता है तो वह भी प्रॉपर कलेक्शन ना होने की बात कहकर टाल मटोल करने लगती है. ऐसी स्थिति में नगर निगम को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. यही वजह है कि अब वाराणसी में लगभग ढाई लाख मकान जो पुराने 90 वार्ड के हिसाब से हैं, इनमें लगभग 30 से 40 हजार के आसपास मकान की संख्या 10 वार्ड बढ़ने के बाद और बढ़ी होगी. इसलिए, वाराणसी नगर निगम ने अब घर-घर कूड़ा कलेक्शन को लेकर निगरानी के लिए एक डिजिटल प्लान तैयार किया है.