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नगर निगम ने गंदे तालाब का ही प्रधानमंत्री से करा दिया लोकार्पण

वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न परियोजनाओं के साथ एक ऐसे तालाब के जीर्णोद्धार का लोकार्पण किया है, जिसकी स्थिति दयनीय है. इस प्राचीन तालाब का पानी गंदा होने के साथ ही खड़ंजा भी धंस रहा है.

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Published : Dec 23, 2021, 7:06 PM IST

गंदे तालाब का लोकार्पण.
गंदे तालाब का लोकार्पण.

वाराणसीःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लगभग 21 सौ करोड़ की सौगात पूर्वांचल सहित काशीवासियों को दिया. शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री ने स्मार्ट गली और 2 तालाबों का भी लोकार्पण किया. जिसमें 3 करोड़ की लागत से नदेसर तालाब और 1.38 करोड़ से भदैनी स्थित प्राचीन सोनभद्र तालाब और पार्क का विकास और सुंदरीकरण किया गया है. प्रधानमंत्री ने जिस सोनभद्र तालाब का लोकार्पण किया, उसकी स्थिति दयनीय है. तालाब के किनारे बिछाया गया खडंजा भी उखड़ गया है. ऐसा लगता है कि कार्यदायी संस्था वाराणसी नगर निगम ने प्रधानमंत्री मोदी को अंधेरे में रखकर प्राचीन तालाब के जीर्णोद्धार का लोकार्पण करा दिया.

गंदे तालाब का लोकार्पण.


प्रधानमंत्री के लोकार्पण के बाद ही ईटीवी भारत की टीम भदैनी स्थित सोनभद्र तालाब पहुंची. तालाब का पानी बिल्कुल गंदा था और तालाब का किनारा टूटा हुआ मिला. इसके साथ ही पौधे भी पानी न मिलने की वजह से सूखे दिखे. वहीं, तालाब से निकालकर जलकुंभी भी बगल में रखा गया है. कार्यदारी संस्था स्मार्ट सिटी और नगर निगम ने लोकार्पण की जल्दबाजी की वजह से कार्य को भी पूरा नहीं किया. जिसे लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश भी था.

सोनभद्र तालाब का टूटा फर्श.
स्थानीय निवासी रोहित पाल ने बताया कि सोनभद्र तालाब का जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण किया गया. तालाब का लोकार्पण कार्य पूरा होने के बाद किया जाना चाहिए था. रोहित ने बताया कि तालाब के किनारे जो ईंट बिछाई गई है, वह धंस रही है. कई जगह खड़ंजे का ईंट भी टूटा हुआ है. रोहित ने कहा कि तालाब का पानी भी गंदा है, लोकार्पण से पहले निर्माण कराने वाली संस्था को यह देखना चाहिए था.
सोनभद्र तालाब के किनारे पड़ी जलकुंभी.


वहीं, डॉक्टर एमपी मणि त्रिपाठी ने बताया कि मोदी जी ने बहुत ही अच्छा कार्य किया. उनके शासनकाल में सोनभद्र तालाब का सुंदरीकरण हुआ. तालाब के आसपास जो फूल पौधे लगाए गए हैं उनकी देखरेख होने चाहिए. पानी न मिलने से बहुत से पौधे सूख गए हैं. यहां पर कोई देखरेख करने वाला नहीं है. जलकुंभी तालाब के अंदर रखा हुआ है. प्रधानमंत्री को अंधेरे में रखकर लोकार्पण कराया गया है.

सोनभद्र तालाब का किनारा धंसा.

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पौराणिक मान्यता है कि सोनभद्र तालाब में स्नान करने से पहले मनुष्य की काया स्वर्ण की हो जाती थी. पहले यहां पर 21 मंगलवार और 21 रविवार को छोटे बच्चों को नहलाने से सूखंडी रोग नहीं होता था.

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