उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

बच्चों को डिब्बाबंद दूध का सेवन कराने वाली माताएं हो जाएं सावधान, ये हो सकता है खतरनाक - deendayal upadhyay hospital

बच्चों को अपना दूध न पिलाकर माताएं बाहर का डिब्बाबंद दूध पिलाती हैं. यह बच्चों के लिए जहर होता है. यह दूध बच्चों को स्वस्थ नहीं, बल्कि रोगी बनाता है. यह बात कुपोषित बच्चों के केसों से सामने आई है.

डिब्बाबंद दूध
डिब्बाबंद दूध

By

Published : Sep 24, 2022, 10:09 AM IST

वाराणसी: जन्म के पश्चात शिशु में कई सारे बदलाव होते हैं. इन बदलावों में से एक सहज बदलाव जन्म के कुछ दिनों बाद बच्चों का अचानक मां का दूध पीना छोड़ देना है. कई बार माताएं इस बदलाव को नजरअंदाज कर बाजार से दूध मंगाकर बच्चों को देना शुरू कर देती हैं. लेकिन, यह दूध बच्चों के लिए पोषण नहीं, बल्कि जहर का कार्य करता है. जी हां यह बच्चों को स्वस्थ नहीं, बल्कि रोगी बनाने लगता है. ऐसा हम नहीं, बल्कि बनारस में सामने आए कुपोषित बच्चों के केस कह रहे हैं.

यह मामला शुद्धीपुर का है. जहां जन्म के तीसरे माह में रेखा के बच्चे ने जब मां का दूध पीना अचानक छोड़ दिया तो उन्होंने उसे डिब्बे का दूध पिलाना शुरू कर दिया. पखवारा भर भी नहीं बीता था कि बच्चे को डायरिया हो गया. कई जगह उपचार के बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ. बच्चा धीरे-धीरे कमजोर होकर कुपोषण का शिकार हो गया. कुछ ऐसी ही हालत बड़ी बाजार निवासी ममता के पांच माह के बेटे शिवम की भी हुई थी. स्तनपान छोड़ने पर शिवम पहले डायरिया और फिर अति कुपोषण का शिकार हुआ. हालत बिगड़ने पर पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया. नतीजा यह हुआ कि चार-पांच दिनों के प्रयास में ही बच्चे ने मां का दूध पीना शुरू कर दिया.

इसको लेकर पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल सिंह का कहना है कि ऐसी स्थिति अधिकतर उन धात्री माताओं के सामने पैदा होती हैं जो स्तन में दूध की कमी अथवा किसी अन्य चिकित्सीय समस्या के कारण बच्चे को सामान्य रूप से स्तनपान नहीं करवा पाती हैं. मजबूरी में वह डिब्बाबंद दूध बोतल से पिलाना शुरू कर देती हैं, जो बच्चे के लिए बेहद नुकासनदेह होता है. डॉ. सिंह का कहना है कि छह माह तक शिशुओं को सिर्फ और सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए. यदि शिशु स्तनपान नहीं कर रहा है तो उसे डिब्बे का दूध पिलाने की बजाय, फौरन चिकित्सक से सम्पर्क कर सप्लीमेंट्री सकलिंग टेक्निक अपनानी चाहिए ताकि शिशु पुनः स्तनपान करने लगे.

क्या है एसएसटी

पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय एमसीएच विंग परिसर में स्थित एनआरसी की आहार परामर्शदाता विदिशा शर्मा बताती हैं कि एसएसटी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बच्चे को कृत्रिम तरीके से स्तनपान कराया जाता है. इसमें एक ऐसी पतली नली का प्रयोग किया जाता है, जिसके दोनों सिरे खुले होते हैं. पहले सिरे को मां के दूध से भरी कटोरी अथवा किसी अन्य बर्तन में लगाया जाता है, जबकि दूसरे सिरे को मां के स्तन पर. दूध की इस कटोरी को मां के कंधे के पास रखा जाता है. इसके बाद स्तनपान कराते समय जब दूध नली से टपकता हुआ बच्चे के मुंह में जाता है तब बच्चे को लगता है कि दूध मां के स्तन से ही आ रहा है और बच्चा दूध पीना शुरू कर देता है. इस प्रक्रिया को लगातार कुछ दिनों तक अपनाने का बड़ा लाभ यह होता है कि जो बच्चा स्तनपान छोड़ चुका होता है, वह दोबारा स्तनपान करना शुरू कर देता है. इतना ही नहीं किन्हीं कारणों से मां का दूध पूरी तरह नहीं आ रहा हो तो इस प्रक्रिया को अपनाने से मां को पुनः पर्याप्त दूध आने लगता है.

मां का दूध बच्चे का सर्वोत्तम आहार

पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय के एमसीएच विंग की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आरती दिव्या कहती हैं कि मां का दूध ही बच्चे का सर्वोत्तम आहार होता है. स्तनपान से सिर्फ शिशु की ही नहीं, बल्कि मां की भी सेहत अच्छी रहती है. प्रसव के एक घंटे के अंदर शिशु को मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिए, यह उसके लिए अमृत के समान होता है. इतना ही नहीं पहले तीन दिन तक निकलने वाला मां का गाढ़ा पीला दूध शिशु के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है. उसमें कई पौष्टिक तत्व होते हैं, जो शिशु को संक्रमण से बचाने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करते हैं.

शुरू के छह माह सिर्फ स्तनपान ही कराना चाहिए. स्तनपान के अलावा बच्चे को और कुछ भी नहीं देना चाहिए. इस दौरान ऊपर का कुछ भी देने से बच्चा संक्रमण की चपेट में आ सकता है. वह बताती हैं कि नियमित रूप से स्तनपान से महिलाओं को मोटापा, बच्चेदानी और स्तन कैंसर का खतरा कम होता है. सर्दी जुकाम या कोई भी बीमारी होने पर भी शिशु को स्तनपान कराना बंद नहीं करना चाहिए. छह माह पूरे होने के बाद बच्चे को स्तनपान के साथ ऊपरी आहार भी देना शुरू करना चाहिए, क्योंकि बच्चे के समुचित शारीरिक और मानसिक विकास के लिए यह बहुत जरूरी है.

यह भी पढ़ें:काशी पहुंचकर सद्गुरु ने मनाया आत्मज्ञान दिवस, भक्तों संग विश्वनाथ धाम में किया सत्संग

यहां उपलब्ध है एसएसटी की सुविधा

यदि किसी महिला के शिशु ने स्तनपान छोड़ दिया है तो वह एसएसटी से स्तनपान कराने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में सम्पर्क कर सकती है. केंद्र की डायटीशियन विदिशा शर्मा बताती हैं कि यह प्रकिया यहां निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है. पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती पांच माह की जाह्नवी की मां सरोज कहती हैं कि सात दिन पहले बेटी को यहां भर्ती कराया था, तब वह स्तनपान नहीं कर रही थी. यहां कटोरी और पतली नली की मदद से मेरा दूध पिलाया गया. अब बेटी ने फिर से स्तनपान शुरू कर दिया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details