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मजदूर की बेटी ने नेशनल एथलेटिक्स में बनाया रिकॉर्ड, गांव में जश्न का माहौल

वाराणसी के एक गरीब मजदूर की बेटी मुनिता ने साबित किया कि लगन हो तो अभाव भी सफलता में बाधा नहीं डाल सकती. मुनीता ने असम में आयोजित जूनियर नेशनल एथलेटिक्स में 10 किमी वॉक रेस में गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही नया रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है. जिसके बाद से गांव में जश्न का माहौल है.

मजदूर की बेटी ने नेशनल एथलेटिक्स में बनाया रिकॉर्ड.
मजदूर की बेटी ने नेशनल एथलेटिक्स में बनाया रिकॉर्ड.

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Published : Feb 16, 2021, 9:56 AM IST

वाराणसी : गुवाहाटी में 36वीं राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 10 हजार मीटर रेसवॉक में मुनिता प्रजापति ने अंडर 20 वर्ग में नेशनल रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता था. मुनिता के जीत के बाद उनके गांव में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. गांव में जश्न का माहौल है. राजनीति पार्टी के लोग मुनिता के घर पहुंच रहे हैं और उनके परिवार वालों को हर संभव मदद करने का आश्वासन दे रहे हैं.

मजदूर की बेटी ने नेशनल एथलेटिक्स में बनाया रिकॉर्ड.

दरअसल रोहनिया के शाहबाजपुर बढेनी खुर्द की रहने वाली मुनिता प्रजापति ने गुवाहाटी में आयोजित 36वें राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नेशनल रिकॉर्ड बनाने का काम किया है. मुनिता ने 47 मिनट 53.58 सेकेंड का समय निकाला. उन्होंने रेशमा पटेल का 48 मिनट 25.90 सेकेंड का रिकॉर्ड तोड़ा. मुनिता के रिकॉर्ड तोड़ने की सूचना से गांव में जश्न का माहौल है. परिवार वालों को बधाई देने वालों को तांता लगा हुआ है.

मुनिता प्रजापति के परिवारवालों ने बताया की मुनिता शुरू से ही खेलों में रुचि रखती थी. ऐसे में परिवार की माली हालत खराब होने की वजह से उनको बहुत सारी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा. एक समय ऐसा आया की खेल छोड़ने की भी नौबत आ गई, पर पिता बिरजू ने मुनिता को हौसला दिया और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. पिता बिरजू पेशे से मजदूरी का काम करते हैं. मुनिता के माता-पिता उनको बाहर भेजने से डरते थे. लेकिन सारे बंधनों को तोड़ते हुए मुनिता ने राष्ट्रीय स्तर पर देश और अपने परिवार का नाम रोशन किया. वर्तमान समय में मुनिता के घर जश्न का माहौल है लोग बधाइयां देने के लिए कतार में लगे हुए हैं.

मुनिता के पिता बिरजू प्रजापति ने कहा कि हम बहुत खुश है. बेटी के इस सराहनीय कार्य के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं. हम ऐसे हालात में नहीं थे कि अपने बिटिया को इतने बड़े मुकाम तक पहुंचा सकें, लेकिन भगवान का शुक्रिया है कि उन्होंने हम पर कृपा की और हमारी बिटिया देश में घर परिवार का नाम रोशन कर रही है. हम यही चाहते हैं कि बिटिया और आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करें. वहीं माता रासमनी ने बताया कि जब बिटिया खेलने के लिए बाहर जाती थी मैं बहुत डरती थी. लेकिन आज मैं बहुत खुश हूं कि मेरी बिटिया ने देश में अपना नाम किया है. अब मैं बस उसके इंतजार में हूं कि वह कब आए और उसे देख सकें.

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