वाराणसी:बनारस को धर्म की नगरी कहते हैं और यहां गंगा आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. वहीं, बनारस की गंगा आरती को लेकर इन दिनों काफी उहापोह की स्थिति बनी हुई है. इसकी बड़ी वजह यह है कि दशाश्वमेध घाट और शीतला घाट पर होने वाली गंगा आरती की तर्ज पर अब हर घाट पर छोटी-छोटी आरतियां शुरू हो गई है, जो कहीं ना कहीं से कई बार विवाद की वजह भी बन जा रही है. आरतियों के शुरू होने के बाद पुलिस और जिला प्रशासन दोनों इसे लेकर परेशान दिख रहा है. इसलिए अब इन आरतियों का रजिस्ट्रेशन (varanasi ganga aarti registration) किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है. लेकिन इस आदेश के जारी होने के बाद एक नया बखेड़ा भी खड़ा हो गया है. पुरानी आरती समितियां इसका विरोध कर रही हैं. वहीं, अधिकारियों का साफ तौर पर कहना है कि रजिस्ट्रेशन तो करवाना ही पड़ेगा यह आदेश है और पालन करना ही करना है.
नगर आयुक्त प्रणय सिंह का कहना है कि गंगा आरती के रजिस्ट्रेशन को लेकर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने पिछले दिनों में ही आदेश दिया था. आरती समितियों को इसके लिए वक्त दिया गया था और अब तक कोई भी आरती समिति अपने प्रयासों से रजिस्ट्रेशन के लिए आगे नहीं आई है. जबकि सर्वे के दौरान यह बात सामने आई है कि बनारस में अलग-अलग गंगा घाटों पर कुल 12 आरती समितियां आरती करवाती हैं. लेकिन रजिस्ट्रेशन के नाम पर बड़ी आरती समितियों के अलावा छोटी आरती समितियां इंटरेस्ट ही नहीं ले रही है.
12 आरती समितियों में कुछ के फॉर्म आए हैं, लेकिन बाकी इसमें कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं. जो कहीं ना कहीं से गलत है. नगर आयुक्त का कहना है कि आरती समितियों का रजिस्ट्रेशन इसलिए अनिवार्य किया गया है, ताकि नई आरतियां विवाद की वजह ना बन जाएं. कई बार शिकायत मिल रही है कि जो आरती फलाने घाट पर हो रही है, वह हमारी मिल्कियत में होने वाली है, लेकिन उसे कोई और कर रहा है. यही वजह है कि हमने हर आरती समिति को निशुल्क रजिस्ट्रेशन के लिए कहा है. इसके लिए बाकायदा उन तक फॉर्म पहुंचाए भी गए हैं. फिर भी किसी ने कोई इंटरेस्ट नहीं लिया है.